Updated: 16/09/2023 at 8:07 PM
बरहज देवरिया: सरकार की तरफ से हर व्यक्ति को रोजगार देने के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं लेकिन आज भी कुछ लोग आशा भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं ताजा मामला विकासखंड भागलपुर से है जहां पर राजकीय पशु चिकित्सालय में तैनात कर्मचारी प्रफुल्ल कुमार मौर्य ने बताया कि 2013 से हम पशुपालन विभाग में तैनात हैं हमें मानदेय देने के लिए सरकार की तरफ से स्वरोजगार योजना के तहत नियुक्त किया गया लेकिन हम लोगों से विभाग के सभी कार्य कराए जाते हैं चाहे वह पशु में टीकाकरण हो या पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करना हो लेकिन हमें वेतन के रूप में सरकार के तरफ से एक रुपया नहीं मिलता है हम लोग यदि कोई पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान का पैसा देता है तो उसी से हम लोगों का जीवो उपार्जन चलता है लेकिन सरकार की तरफ से सभी प्रकार की टीकाकरण निशुल्क कर दिए गए हैं.
ऐसी दशा में अब हम लोग लाचारी का जीवन जीने को विवश है हम लोग विभाग के उच्च अधिकारियों से अपने वेतन के लिए कई बार कहे लेकिन हम लोगों को वेतन के रूप में कुछ अभी नहीं दिया जाता है उन्होंने बताया कि मनरेगा के मजदूर को भी अधिकतम 230 रुपया दिया जाता है लेकिन हम लोगों को यदि पशुओं में पशुपालक के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान नो कराया जाए तो हम लोगों का उसे दिन चूल्हा भी नहीं जल पता है। जबकि विभाग के लोगों का कहना है कि इन लोगों को ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार के लिए छोड़ दिया गया है जब विभाग से काम लिया जाता है तो जो भी कुछ सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है सभी लोगों को दे दिया जाता है। सरकार की तरफ से सिर्फ परीक्षण कराकर स्वत: कृत्रिम गर्भाधान करने के लिए सभी को छोड़ दिया गया परीक्षण के समय जो सरकार से मानदेय मिलता था वह इन लोगों को दिया जाता था इन्हें टूल किट विभाग के तरफ से प्रशिक्षण देने के बाद देकर स्वत रोजगार के लिए छोड़ दिया है!
ऐसी दशा में अब हम लोग लाचारी का जीवन जीने को विवश है हम लोग विभाग के उच्च अधिकारियों से अपने वेतन के लिए कई बार कहे लेकिन हम लोगों को वेतन के रूप में कुछ अभी नहीं दिया जाता है उन्होंने बताया कि मनरेगा के मजदूर को भी अधिकतम 230 रुपया दिया जाता है लेकिन हम लोगों को यदि पशुओं में पशुपालक के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान नो कराया जाए तो हम लोगों का उसे दिन चूल्हा भी नहीं जल पता है। जबकि विभाग के लोगों का कहना है कि इन लोगों को ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार के लिए छोड़ दिया गया है जब विभाग से काम लिया जाता है तो जो भी कुछ सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है सभी लोगों को दे दिया जाता है। सरकार की तरफ से सिर्फ परीक्षण कराकर स्वत: कृत्रिम गर्भाधान करने के लिए सभी को छोड़ दिया गया परीक्षण के समय जो सरकार से मानदेय मिलता था वह इन लोगों को दिया जाता था इन्हें टूल किट विभाग के तरफ से प्रशिक्षण देने के बाद देकर स्वत रोजगार के लिए छोड़ दिया है!
First Published on: 16/09/2023 at 8:07 PM
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