उत्तर प्रदेश

अपशिष्ट (पुवाल) जलने पर अर्थ दंड किया गया निर्धारित

बरहज, देवरिया। देवरिया  जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह ने जनपद के सभी  कृषकों को अवगत कराया है कि वे अपने फसल कटाई के द्वारा खेत में पड़े अपशिष्ट (पुवाल) को कदापि न जलाये। सेटेलाइट के माध्यम से किसानों के खेतों की निगरानी की जा रही है यदि किसान पराली जलाते है तो तत्काल पता चल जाता है कि किस अक्षांश-देशान्तर पर जली है तत्पश्चात लेखपाल एवं कृषि विभाग के कर्मचारी के माध्यम से जाँच कराकर कार्यवाही की जा रही है जिसमें 2 एकड़ जलाने पर 2500 रु०, 2-5 एकड़ जलाने पर 5000 रू0 और 5 एकड़ से उपर जलाने पर 15000 रु० अर्थदण्ड निर्धारित किया गया है।  

 यदि किसान फसल के अवशेष को जलाते है तो प्रथम बार अर्थदण्ड एवं दूसरी बार जलाने पर अर्थदण्ड के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के अनुदान से वंचित किया जा सकता है। पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है वही पर इससे निकलने वाले हानिकारक धुए से पर्यावरण में प्रदूषण की वृद्धि होती है जिसके कारण जीव-जन्तु के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। पराली जलाने से मृदा का तापमान बढ़ता है साथ ही मित्र जीव भी जष्ट हो जाते है।

मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा 0.80 प्रतिशत होनी चाहिए जबकि जनपद में 0.30-0.40 प्रतिशत ही उपलब्ध है। कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढाने के लिये पराली को मिट्टी में मिलाकर मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाये जिससे मृदा स्वस्थ एवं पौधे स्वस्थ हो। इसलिए कृषक अपने फसल अवशेष को कदापि न जलाये बल्कि पुवाल को बायोडीकम्पोजर की सहायता से खेत में सड़ा दे, बायोडीकम्पोजर जनपद में कुल 33000 पैकेट प्राप्त है जो जनपद के सभी राजकीय कृषि बीज भण्डारो से कृषकों में निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। हैरो से जुताई कर खेत में पानी भरकर 40 किग्रा0 यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से डाल दें, इससे अपशिष्ट पदार्थ सड़कर मृदा में खाद बनकर मृदा को उपजाऊ बनायेगा। तपश्चात आप खेत में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों इत्यादि फसलों की बुवाई करें। 

 

 

Vinay Mishra