गोरखपुर, मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय हितों, देश के मानबिन्दुओं की पुनर्स्थापना को लेकर गोरक्षपीठ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कोई संदेह नहीं कर सकता है। ऐसा करना हम सबका फर्ज है।आज जनता ने यशस्वी नेतृत्व दिया है तो पूरी दुनिया मे देश का डंका बज रहा है। पहले की सरकारों में आतंकवादियों के मुकदमे वापस होते थे लेकिन आज आतंकियों के महिमामंडन की हिम्मत कोई नहीं कर सकता।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ युगपुरुष गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 52वीं व राष्ट्रसंत गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में शुक्रवार को राष्ट्रसंत गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पुण्य स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता करते हुए सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिली सफलता से सभी वाकिफ हैं। उनके मार्गदर्शन में गृह मंत्री ने दृढ़ता से कश्मीर से धारा 370 को समाप्त किया। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में प्रताड़ित हिंदुओ व सिखों को कानून बनाकर नागरिकता दी। कहा कि ये सब हमारे हैं। देश के बाहर संकट में फंसे भारतीयों का इस सरकार ने हाथ फैलाकर स्वागत किया। पहले की सरकारें ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं।
सीएम ने कहा कि अयोध्या के श्रीराम मंदिर को लेकर गोरक्षपीठ के समर्पण को सब जानते हैं। जब मैं अयोध्या में होता हूं तो लगता ही नहीं कि गोरखपुर में नही हूं। 1947 में देश आजाद हुआ और 1949 में जन्मभूमि पर श्रीरामलला का प्रकटीकरण हो जाता है। उस दौरान वहां के मूर्धन्य संतों को गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का संरक्षण प्राप्त था। परमहंस जी ने महंत दिग्विजयनाथ की ही प्रेरणा से श्रीरामलला के मुकदमे को आगे बढ़ाया। महंत दिग्विजयनाथ के अभियान को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ विस्तारित करते रहे। गोरक्षपीठ व संतों के नेतृत्व में अयोध्या के लिए क्या-क्या संघर्ष करना पड़ा। संघर्ष करने वालों में से किसी ने भी यह नहीं सोचा कि उनको क्या मिलेगा। वास्तव में जब चारो ओर से एक आवाज निकलती है तो संकल्प साकार होता है।
मुख्यमंत्री ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृति को नमन करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन महंतद्वय ने संपूर्ण धर्म व समाज के सामने मूल्यों व आदर्शों की स्थापना की। 50 वर्ष पूर्व जिसने भी गोरखपुर और गोरक्षपीठ को देख होगा उसे यह पता है कि आज यहां जो कुछ भी है वह उन्हीं गुरुजनों की प्रेरणा व आशीर्वाद से है। महंत दिग्विजयनाथ ने जो नींव रखी, महंत अवेद्यनाथ ने उसे भवन का रूप दिया। 21 जुलाई 1984 को गठित श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष रहे राष्ट्रसंत गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि जिस श्राद्ध पक्ष में हम अपने पितरों को श्रद्धांजलि देकर उनके विराट व्यक्तित्व से प्रेरणा लेते हैं, महंतद्वय ने उसी पक्ष में अपना भौतिक शरीर छोड़ा। उनका व्यक्तित्व व कृतित्व आज भी हमारे लिए प्रेणास्रोत है। ब्रह्मलीन महंतद्वय ने स्वतंत्रता संग्राम और देश के स्वतंत्र होने के बाद भी हरेक क्षेत्र में योगदान दिया। चाहे मंदिर के अंदर कुछ करने की बात हो या फिर मानबिन्दुओं की पुनर्स्थापना की। बिना थके, बिना रुके, बिना डिगे और बिना झुके उन्होंने पौराणिक और ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए नवीनतम ज्ञान देने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ ने अपने को सिर्फ उपासना तक सीमित नहीं रखा। 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर 1945-46 में महिलाओं की शिक्षा के लिए कॉलेज खोला गया। 1956 में एमपी पॉलिटेक्निक के जरिए तकनीकी शिक्षा की शुरुआत की तो साठ के दशक में संस्कृत और आयुर्वेद के संस्थान के लिए कदम बढ़ाया। सीएम ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का लंबा सानिध्य प्राप्त हुआ। उनकी प्रेरणा से यह पीठ पूरी प्रतिबद्धता से जनता की सेवा व सम्मान के लिए कार्य कर रही है। जब तक आचार-विचार में समन्वय नहीं होगा, कल्याण या सफलता संभव नहीं है। संतों के व्यक्तित्व से यही प्रेरणा मिलती है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि साठ के दशक में ही गोरक्षपीठ ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया था। मूलतः यह पीठ योग पीठ है। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान पूरी दुनिया ने आयुष और योग की ताकत को पहचाना। देश को पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने आयुष और योग को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। उनके ही प्रयास से 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाने लगा है।
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