भागलपुर/ देवरिया। मईल थाना क्षेत्र के नरियांव गांव में चल रही भागवत कथा में गोवर्धन पूजन की कथा का वर्णन बहुत ही सुंदर और सरल रूप में प्रस्तुत किया वाचक श्री शैलेंद्र शास्त्री कथा व्यास आचार्य पंडित शैलेन्द्र शास्त्री ने बताया कि श्रीकृष्ण के जन्म होने के बाद कंस उनको मौत के घाट उतारने के लिए अपने राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेष बदलकर भगवान श्री कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है।
लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं इसके बाद कंस श्री कृष्ण को मारने के लिए बहुत से उपाय करता है लेकिन उसके सारे उपाय असफल हो जाते है और भगवान उन सारे राक्षसों को मार देते है जिसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इन्द्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन पर्वत का पूजन करने की बात कहते हैं। इन्द्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं।
वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे ब्रजवासियो को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इन्द्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं।
इस अवसर पर पूरे ब्रजवासियों ने भगवान को छप्पन भोग लगाया गया। इस अवसर पर श्रीमदभागवत कथा के आयोजक सीता कांत तिवारी ने श्रद्धालुओ से कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करने का आव्हान किया है।इस अवसर पर आचार्य बृज भूषण मिश्र, पंडित विशाल तिवारी, भोला तिवारी, शेषनारायण तिवारी, वीरेंद्र मिश्र, विद्या शंकर मिश्रा, पुनीत मिश्रा ,आनंद तिवारी, हिमांशु तिवारी मुन्ना शुक्ला, दीपू चौधरी ,श्रीधर चतुर्वेदी एवं नरियांव, देवसिया आदि गांव के सैकड़ो भक्त मौजूद रहे l