उत्तर प्रदेश

लाखों रूपये खर्च फिर भी ग्राम पंचायत महनुवा के सामुदायिक शौचालय पर ताला

दिवाकर उपाध्याय/भनवापुर/सिद्धार्थनगर

लाखों रूपये खर्च फिर भी ग्राम पंचायत महनुवा के सामुदायिक शौचालय पर ताला
ग्राम पंचायत महनुवा में सामुदायिक शौचालय बना तो लेकिन लटकता रहता है ताला ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर

भनवापुर,  सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत गांव और काशन में लाखों लाख रूपए लगा करके शौचालय बनवाया गया है जहां अक्सर सार्वजनिक सामुदायिक शौचालय में ताला लटकता रहता है और लोग मजबूरी में खुले में शौच जाते हैं. सरकार मूलभूत सुविधाओं के साथ- साथ स्वच्छ वातावरण को बनाये रखने के लिए तरह- तरह की योजनाएं चलाती है जिससे लोगों को लाभ मिल सके. जहाँ स्थानीय लोगों का कहना है कि सामुदायिक शौचालय में हमेशा ताला लटकता रहता है इसलिए हम सभी लोग खुले में शौच करने जाते हैं जबकि कागज में हम लोगों का ग्राम पंचायत ओडीएफ घोषित किया गया है गांव में बहुत से परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में आज भी शौचालय नहीं है. लेकिन सामुदायिक शौचालय पर ताला लटकने रहने के कारण सार्वाधिक समस्या महिलाओं को होता है क्योंकि पुरुष तो खुले में शौच चले जाते हैं मगर महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहती है* सरकार के द्वारा लाखों रुपए सामुदायिक शौचालय पर खर्च करने के बाद भी शौचालय की स्थिति दयनीय बनी हुई है सरकारी बैठकों में जिम्मेदारों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं.

ग्राम पंचायत महनुवा में सामुदायिक शौचालय बना तो स्थानीय लोगों को लगा कि अब हम लोगों को खुले में शौच जाने से मुक्ति मिलेगी लेकिन लोगों को शौचालय जाने को नसीब नहीं हुआ बारिश का मौसम चल रहा है इसलिए बाहर शौच के लिए जाना हमेशा विषैले जीव जंतुओं से खतरा बना रहता है जिम्मेदार अधिकारी /कर्मचारी गांव में जाना और जन सुविधाओं व समस्याओं को जानना नहीं चाहते* स्थानीय लोगों ने बताया कि *सामुदायिक शौचालय विद्यालय की भूमि में बना है शौचालय में जाने के लिए रास्ता नहीं है अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है लोग रास्ता देख रहे हैं कि यह शौचालय कब चालू होगा इसका लाभ हम लोगों को कब मिलेगा* इसीलिए सामुदायिक शौचालय बने होने के बावजूद भी महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग,विकलांग ,व युवा सभी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं खुले में शौच जाने से गंदगी के कारण- तरह तरह की बीमारियां फैलती हैं फिर भी जिम्मेदार सब कुछ जानते हुए मुख्य दर्शक बने हुए. 

स्थानीय लोगों का कहना है कि लाखों रुपए खर्च कर आखिर किस लिए शौचालय बनवाया गया है और ₹6000 रुपये प्रति माह केयर टेकर को मानदेय के तौर पर और 3000 रूपये साबुन, सर्फ, हैंड वास आदि के नाम पर टोटल 9000 रुपये प्रति माह खर्च किया जाता है. इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिए सहायक विकास अधिकारी (पं0) भनवापुर लाले भारती से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि हो सकता है कोई दिक्कत हो, रास्ता न हो अगर शौचालय चालू नही हुआ है तो हम अपने स्तर से देख रहे हैं जो भी कमी है उसको दूर किया जायेगा सभी सचिवों को भी निर्देशित किया गया है कि अपनी- अपनी छोटी- छोटी खामियों को देख लें और जो भी खामियां हैं शीघ्र दूर कर लें.

Diwakar Upadhyay

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