नवरात्र व्रत का पर्व 3 अक्टूबर से शुरू होकर 12 अक्टूबर को होगा सम्पन्न
सलेमपुर, देवरिया। पंचांग के अनुसार नवरात्रि पर्व का नौ दिवसीय त्योहार आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है जो नवमी तिथि को सम्पन्न होता है।इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर्व गुरुवार 3 अक्टूबर को शुरू होकर 12 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। उक्त बातें बताते हुए आचार्य अजय कुमार शुक्ल ने कहा कि इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के अलग – अलग रूपों की पूजा अर्चना करते हैं।इस नवरात्र में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 2 मिनट तक है। इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके पूजा अर्चना करने वाले स्थान को गंगाजल से शुद्धिकरण कर कलश स्थापना करके दीप प्रज्वलित कर अक्षत ,सिंदूर लाल फूल विशेष रूप से गुड़हल का फूल अर्पित कर प्रसाद के रूप में फल व मिष्टान्न चढ़ाए।धूप व दीप जलाकर दुर्गा सप्तशती व चालीसा का पाठ करें,उसके बाद आरती करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के आगमन व प्रस्थान का दुनिया ,प्रकृति, फसलों व मानव जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इस अवसर पर उनके चुने गए वाहन को अच्छे व बुरे समय का संकेत माना जाता है।इस बार गुरुवार को देवी दुर्गा का आगमन पालकी से व प्रस्थान चरणायुथ यानी बड़े पंजे वाले मुर्गा से हो रहा है जो अमंगलकारी है। इसके कारण देश मे प्राकृतिक आपदा व फसलों के नष्ट होने व मानव जीवन में कष्ट आते हैं।मां जगत जननी जगदम्बा की पूजा अर्चना जो भक्त निर्मल मन से करता है उसे जीवन में कभी कष्ट नही होता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता है। माँ सभी भक्तों के कष्टों के निवारण हेतु कार्य करती हैं।