![नवरात्र में दुर्गासप्तशती का पाठ एवं रामायण का पाठ स्वयं करना धन-धान्य, यश, ऐश्वर्य एवं परिवार में सुख शान्ति प्रदान करता- पं. विनय मिश्र 1 दुर्गासप्तशती](https://thefaceofindia.in/wp-content/uploads/jet-form-builder/7c8fd7f63eeee957c3bb7f59ddb0976d/2023/10/IMG-20231013-WA0377-560x628.jpg)
शारदीय नवरात्रि विशेष
आश्रम बरहज सभी सनातन धर्मावलम्बीजन आश्विन शुक्ल पक्ष मूल रूप से प्रकृति और पुरुष के प्रतीक आद्या शक्ति स्वरूपा भगवती की आराधना एवं सनातन धर्मियों के मनमस्तिष्क में बसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्रगान के लिए सुरक्षित है। इसे हम शारदीय नवरात्र के रूप में मानते हुए प्रतिपदा को घर-घर में कलश स्थापित कर श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ एवं रामायण का पाठ कर मानते-मनाते हैं। इस वर्ष चूंकि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा १५ अक्टूबर २०२३ रविवार को चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का संयोग बन रहा है, इसलिए इस योग के निषेध को मानते हुए कलश स्थापना त्रिकाल संध्याओं में अर्थात्
प्रातः ५:५२ से ६:४०बजे तक
मध्यान्ह ११:३६से १२:२४बजे तक
एवं सायं ५:२० से ६:०८ बजे
तक किया जाएगा। नवरात्र में दुर्गासप्तशती का पाठ एवं रामायण का पाठ स्वयं करना अथवा पुरोहित द्वारा कराना बाधाओं से मुक्त करते हुए धन-धान्य, यश, ऐश्वर्य एवं परिवार में सुख शान्ति प्रदान करता है।
🩸वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत का मान १८ अक्टूबर २०२३ बुधवार को होगा।
🩸उपांग ललिता व्रत का मान १९ अक्टूबर २०२३ गुरुवार को होगा।
🩸रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए राम द्वारा की गई *शक्तिपूजा* एवं बंगीय परंपराओं पर आधारित सप्तमी तिथि में पूजा पंडालों में देवी प्रतिमाओं की स्थापना २१ अक्टूबर २०२३ शनिवार को की जाएगी। बंगीय परंपरा के अनुसार सप्तमी तिथि को शनिवार होने के कारण देवी का आगमन “शनिभौमे तुरंगमे” तुरंग अर्थात घोड़े पर होगा, जो छत्र भंग कारक एवं कष्टप्रद है। रात्रि कालीन अष्टमी तिथि की *महानिशा पूजा* २१ अक्टूबर २०२३ शनिवार की रात में ही हो जाएगी।
🩸 महाष्टमी का व्रत एवं पूजन २२ अक्टूबर २०२३ रविवार को किया जाएगा एवं आज ही अष्टमी नवमी की सन्धिपूजा का समय सायं ५:०१ बजे से लेकर ५:४९ बजे तक की जायेगी।
🩸 महानवमी का मान २३ अक्टूबर २०२३ सोमवार को होगा एवं पूर्ण नवरात्रि व्रत के समापन का हवन पूजन नवमी तिथि पर्यंत दिन में ३:०१ बजे तक कर लिया जाएगा। विजयदशमी का मान अपराह्न काल में दशमी तिथि एवं श्रवण नक्षत्र का सहयोग एक साथ हो जाने से २३ अक्टुबर २०२३ सोमवार को ही हो जाएगा। आज ही शमी पूजन, अपराजिता पूजा,सीमोलंघन, नीलकंठ दर्शन एवं विजय यात्रा निकाली जायेगी।
🩸जो व्यक्ति नौ दिवसीय नवरात्रि का व्रत नहीं कर सकते वे त्रिदिवसीय राम की शक्ति पूजा के आधार पर सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी तिथि में व्रत करके दुर्गा सप्तशती का पाठ अथवा बाल्मीकि रामायण की युद्धकाण्ड का पाठ करके ब्रह्म एवं प्रकृति की शक्ति को धारण कर सकते हैं।
🩸पूर्ण नवरात्र व्रत की पारणा २४ अक्टूबर २०२३ मंगलवार को प्रातः काल की जाएगी।उदयकालिक दशमी तिथि के मान के अनुसार पूजा पांडालों में स्थापित दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन आज ही की जाएगी। “शनिभौम दिने यदि सा विजया चरणायुधयानकरिविकला” के अनुसार भगवती का गमन चरणायुध अर्थात मुर्गे पर होगा। आज के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन रोग व्याधि एवं उपद्रव कारक होगा ।