दीप उत्सव : सभी सनातन धर्मावलम्बी जन को सूचित किया जाता है कि *प्रदोष का व्रत एवं धन्वंतरी जयंती सहित धन त्रयोदशी* (धनतेरस) का प्रसिद्ध पर्व प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में १० नवंबर २०२३ शुक्रवार को मनाया जाएगा। धन-ऐश्वर्य में वृद्धि की कामना से महालक्ष्मी की विधिवत पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सायं प्रदोष काल में स्थिर वृष लग्न ५:३० से ७:२७ बजे के बीच का होगा । आज ही प्रदोष काल में अपमृत्यु से बचने के लिए घर के बाहर तिल के तेल में *दक्षिणाभिमुख यमदीप* दान किया जाएगा ।
मासशिवरात्रि का व्रत ११ नवम्बर २०२३ शनिवार को किया जाएगा । इसे *नरक चतुर्दशी एवं हनुमत जयंती* के नाम से भी जाना जाता है। सायं मेष लग्न में हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा दूसरे दिन अर्थात् दीपावली को प्रातः काल तक हनुमान जी का दर्शन अवश्य करना चाहिए । सायं प्रदोष काल में ही नरक के उद्देश्य से अथवा नरक में पड़े हुए पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करने हेतु एवं स्वयं को नरक की यातना न भुगतना पड़े इस उद्देश्य से चतुर्मुख दीप का दान घर के बाहर कूड़ा,राख आदि पर किया जाएगा
प्रदोष एवं रात्रि काल में अमावस्या तिथि मिलने के कारण वैश्य समुदाय का सर्वश्रेष्ठ एवं विश्व प्रसिद्ध पर्व *दीपावली* १२ नवंबर २०२३ रविवार को मनाया जाएगा। इसमें लक्ष्मी, गणेश, कुबेर आदि का पूजन किया जाएगा। निशीथ काल में महानिशा पूजा, बंगाल में महाकाली पूजा की जाएगी। दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त सायं ५:०२ बजे से सिंह लग्नांन्त तक अर्थात रात्रि २:२५ बजे तक रहेगा। शेष रात्रि में दरिद्र निस्सारण सूप बजा कर किया जाएगा एवं लक्ष्मी का पदार्पण कराया जाएगा।
स्नान-दान श्राद्ध सहित अमावस्या एवं सोमवती अमावस्या का मान १३ नवंबर २०२३ को है। पति सौभाग्य में वृद्धि की कामना से स्त्रियां पीपल वृक्ष की जड़ में भगवान विष्णु को प्रतिष्ठित मानते हुए विधिवत पूजन कर १०८ परिक्रमा करेंगी।
अन्नकूट एवं काशी से अन्यत्र सर्वत्र *गोवर्धन पूजा* १४ नवंबर २०२३ मंगलवार को मनाई जाएगी। आज ही विश्वकर्मा रुपेण ब्रह्मा की पूजा भी की जाएगी। सायंकाल में मंगल मालिका का गायन एवं वादन किया जाएगा।
काशी में गोवर्धन पूजा एवं सर्वत्र भ्रातृद्वितीय (भैया दूज), चित्रगुप्त पूजा, कलम दवात की पूजा १५ नवम्बर २०२३ बुधवार को मनाई जाएगी । आज के दिन भाइयों को बहनों के घर जाकर भोजन करने का शास्त्र सम्मत एवं पुण्यफलदायक विधान है। आज के दिन यमुना स्नान एवं यमराज को तर्पण विशिष्ट फल दायक होता है।
पं विनय मिश्र । आश्रम बरहज