राजस्थान में बाडमेर के एक छात्र युवक को महाराष्ट्र में फर्जी दस्तावेज के आधार पर तीन कंपनियां खोलकर करोड़ों रुपए के टैक्स चोरी करने के मामले में जीएसटी विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किया है। युवक बाड़मेर के मरटाला गाला महाबार का निवासी है। परिवार के अनुसार युवक जयपुर में रहकर कोचिंग कर रहा है। युवक ने महज डेढ़ साल में अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर 927 करोड़ रुपए का फर्जी लेनदेन कर करीब 166 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स चोरी को अंजाम दे दिया। इस मामले में महाराष्ट्र के पुणे से आई जीएसटी से संबंधित मामलों में जांच कर रही जीएसटी खुफिया निदेशालय की टीम ने बाड़मेर से वीरेंद्र उर्फ कल्पेश कुमार और दिनेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि तीसरे आरोपी कृष्ण कुमार की तलाश कर रही है।
जीएसटी से जुड़े मामलों को लेकर जांच करने वाली खुफिया महानिदेशालय DGGI ने इन दिनों विशेष अभियान चला रखा है। इस अभियान में सामने आया की तीन फर्म मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज, मेसर्स आरके इंटरप्राइजेज काम तो पुणे में करती हैं लेकिन उनका मूल पता गोवा है और महालक्ष्मी इंटरप्राइजेज का पता पुणे की किसी जगह का था। इसपर DGGI की टीम ने फर्मों के दिए गए मूल पते पर जाकर जांच की तो पाया कि इन फर्मों का दिए गए पते पर कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिसके बाद एजेंसी अलर्ट हुईं और तीनों फर्मों के रिकार्ड खंगालने शुरू किए तो सामने आया कि इन तीन फर्मों से 54 फर्मों के साथ करोड़ों का लेनदेन हो रहा है। इनमें से मेसर्स एसके और आरके इंटरप्राइजेज फर्मों का लेनदेन में एक ही आईपी एड्रेस इस्तेमाल हो रहा है और फर्जी बिल काट कर लेनदेन किया जा रहा है।
घोटाला वीरेंद्र उर्फ कल्पेश कुमार और उसके दो दोस्त कृष्ण कुमार और दिनेश कुमार ने मिलकर किया है लेकिन पैसों का लेनदेन बाड़मेर के वीरेंद्र के यूनियन बैंक के खाते से हुआ है। ऐसे में इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड वीरेंद्र को माना जा रहा हैं और जिन आधार कार्ड और फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर कंपनिया बनाई गई हैं वो कल्पेश कुमार के नाम हैं और होल्डर वीरेंद्र कुमार हैं। ऐसे में 13 सितंबर को DGGI पुणे की टीम वीरेंद्र और दिनेश कुमार गिरफ्तार कर पुणे लेकर गई है। जहां पर दोनों को न्यायालय में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है।
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