वनवासी कल्याण आश्रम की बालिकाओ पर आधारित फिल्म का 15 अक्टूबर को मुंबई में लोकार्पण
उन्होंने बताया कि इस लघु वृतचित्र का निर्माण आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य आनंद सिंह द्वारा किया गया है, जिसमें आलेख को अंतिम रूप और पार्श्व स्वर भी उन्होंने ही दिया है। ललित बाहेती ने बताया कि सदियों से उपेक्षित और आधुनिक सुविधाओं से वंचित वनवासी भाई-बहनों को देश की मुख्य धारा से जोड़ने और उनकी जीवन शैली उन्नत बनाने की रफ़्तार तेज़ करने के लिए वनवासी कल्याण आश्रम ने अपने एक नये प्रयोग के साथ शिक्षा का एक नया मॉडल तैयार किया, जिसे आधुनिक गुरुकुल का नाम दिया गया। आदिवासी समाज की नई पीढ़ी, विशेष रूप से बेटियों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के सकारात्मक कदम उठाने तथा उन्हें कौशलयुक्त और गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से केन्द्र शासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली में वापी-सिलवासा मार्ग पर, सिलवासा से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच रांधा गाँव में इस रानी दुर्गावती बालिका छात्रावास की स्थापना, वनवासी छात्राओं के जीवन को उच्च कोटि का अनुभव प्रदान करने की एक स्वप्नस्थली के रूप में की गई।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक जनजातीय समाज की अपनी भाषा, लोककथाऍं, लोकनृत्य, इतिहास, पूजा पद्धति, प्रथाऍं, रीति – रिवाज़ और त्योहारों की एक समृद्ध विरासत रहती है। इसी परम्परागत सांस्कृतिक विरासत से छेड़छाड़ किये बिना, विकास की नई डगर पर उन्हें आगे ले चलने की जटिल चुनौतियाँ को आश्रम ने स्वीकार किया और नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2016 में सभी मूलभूत सुविधाओं से सम्पन्न, परम्परागत प्राचीन और नवीन पद्धतियों के समन्वय से आधुनिक गुरुकुल पद्धति के बालिका छात्रावास की आधारशिला रखी गई। उन्होंने बताया कि रानी दुर्गावती बालिका छात्रावास सिर्फ एक छात्रावास नहीं है, बल्कि समाज के वंचित और पीड़ितों के सम्पूर्ण विकास का एक महत्त्वपूर्ण अभियान है और साथ ही सामाजिक एवं शैक्षणिक संकल्पों की नई पीढ़ी तैयार करने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
यहाँ कला, भाषा, साहित्य, शास्त्र और दर्शन के ज्ञान के साथ-साथ जीवन के व्यावहारिक पक्ष, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, नैतिक विकास, खेलकूद, चारित्रिक विकास और व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर बल देते हुए व्यावसायिक विकास की अहम शिक्षा प्रदान की जाती है | उन्होंने जानकारी दी कि इस गुरुकुल में वनवासी समाज की बेटियाॅं सुशिक्षित, सुसंस्कृत एवं आत्मनिर्भर हो रही हैं और साथ ही बाहरी बुरी शक्तियों के प्रभाव से भी सुरक्षित हैं। इनके अभिभावक हर महीने इनसे मिलते हैं और अपनी बेटियों की प्रगति से उत्साहित होकर लौटते हैं |