सिद्धार्थ नगर (यूपी)
जनपद हापुड़ के न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा किये गए बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज के विरोध में यूपी सरकार के विरोध में जनपद के सभी न्यायालयों में होगा न्यायिक बहिष्कार
आपको बताते चलें कि पिछले सप्ताह दिनांक 29/08/23 को उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के न्यालय परिसर में बिना किसी वजह के अधिवक्ताओं के ऊपर पुलिस प्रशासन द्वारा किये गये बर्बरतापूर्वक लाठी चार्ज के विरोध में बार कौंसिल आफ उत्तर प्रदेश के निर्देश के क्रम में आज दिनांक 04, 05, 06 सितम्बर “तीन दिवसीय” मांगों के समर्थन में तथा उत्तर प्रदेश सरकार के विरोध में समस्त न्यालयों में न्यायिक बहिष्कार रहेगा. एक तरफ भारत सरकार युनिफार्म सिविल कोड लागू करना चाह रही है जो कि एक अच्छा व सार्थक पहल भी है प्रन्तु अफ़सोस इस बात का है कि जिस कानून का संरक्षण देश की संसद अधिवक्ताओं द्वारा कराती है वही अधिवक्ता खुद कानून के आभाव में सुरक्षित नहीं हैं और अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं. देश के संवौधानिक ढांचे के निर्माण में देश के अधिवक्ताओं का बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका योगदान व भुमिका रहा है. इसमें रंच मात्र संदेह नहीं है.
जब देश के अधिवक्ता आपने मान- सम्मान की रक्षा के लिए परेशान हैं इससे बड़ा दुर्भाग्य किसी देश के लिए नहीं हो सकता लोकतंत्र के चार स्तंभ कहलाने वाले न्यायपालिका का एक प्रमुख स्थान है. यह सत्य है कि देश के सभी कोर्ट/ कचहरी केन्द्र सरकार के कानून से चलते हैं और हर प्रदेश के कुछ अपने भी नियम/ कानून होते हैं इसमें से एक है अधिवक्ता अधिनियम 1961 यह भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया है जिसके दायरे में सभी अधिवक्ता आते हैं और सभी अधिवक्ता एक संविधान और एक कानून के तहत सभी न्यालयों में अपना- अपना कार्य समुचित और सुचारू रूप से करते आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश से सटा हुआ *राजस्थान में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू है मगर उत्तर प्रदेश में इसे अभी तक नहीं लागू किया गया और संविधान के अनुच्छेद 14 में उल्लेखित समानता के अधिकार का सीधा- सीधा उलंघन करता है. इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के जनपद न्यालय सिद्धार्थ नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता नगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट उर्फ गुड्डू भैया से बात करने पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्यों को छोड़कर बाक़ी *कई राज्यों में अधिवक्ताओं के लिए बहुत सारी कल्याणकारी योजनाओं सहित अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम भी लागू है इसको उत्तर प्रदेश में भी अधिवक्ताओं के हितों को देखते हुए लागू किया जाये।