बांसी। सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए बांसी राजघराने के राजा व विधायक जय प्रताप सिंह, कुंवर अधिराज प्रताप सिंह व कुंवर अभय प्रताप सिंह ने शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि दिन शनिवार को प्राचीन माली के घर से माता देवी भवानी को ससम्मान राजसी ठाठ बाट, लाव लश्कर के साथ बांसी राजमहल ले गए तथा उन्हें प्राचीन मंदिर में स्थापित किया। बांसी राजघराने की यह सदियों पुरानी परंपरा है।
शारदीय नवरात्र के दिन बांसी नरेश राजसी ठाठ बाट के साथ आते हैं और माता देवी भवानी को माली के घर से सासम्मान राजमहल ले जाते हैं। शनिवार को बांसी राजघराने के राजा जय प्रताप सिंह व राजकुमार अभय प्रताप सिंह के साथ यह सदियों पुरानी प्राचीन शाही परंपरा का निर्वहन परंपरागत तरीके से किया। हाथों में नंगी तलवार लिए राजा जय प्रताप सिंह, कुंवर अधिराज प्रताप सिंह व कुंवर अभय प्रताप सिंह राप्ती पुल पर नंगे पांव खड़े होकर माता देवी भवानी का इंतजार कर रहे थे। और उधर विशंभर माली के घर से माली के साथ राजसी सेना और लाव लश्कर प्राचीन परंपराओं का निर्वहन करते हुए माली के घर से पुरानी कचहरी होते हुए राप्ती पुल पर देवी भवानी माता को लेकर पहुंचे ओर माता की अगवानी की और माली के साथ नंगे पांव पैदल चलते हुए राजमहल गए। राजमहल पहुंचकर माताजी को प्राचीन देवी मंदिर में स्थापित किया गया। इस दौरान राजमहल में खुशी और उत्साह का माहौल रहा।
इस दौरान राघवेंद्र प्रताप सिंह नन्हे, आनंद शंकर मणि त्रिपाठी,अभिषेक त्रिपाठी, निखिल प्रताप सिंह ,संतोष सहित तमाम लोग उपस्थित थे। वर्षों पुरानी इस परम्परा को देखने के लिए राप्ती नदी पुल पर नगर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलो से काफ़ी लोग आए थे।