उत्तर प्रदेश

आज की पत्रकारिता!

एक समय था जब भारत के पत्रकारों के दफ्तर में राजनीतिक लोग राय लेने के लाइन लगाकर खड़े रहते थे क्योंकि उस समय किसी प्रकार का पक्ष पात नहीं किया जा था लेकिन यदि आज के समय की पत्रकारिता की बात कही जाय तो आज कुछ लोग चंद कागज के टुकड़े के लिए अपने सच्चाई और इमानदारी को किनारे रखकर पक्षपात करने में लगे रहते हैं जहां अधिकारी पत्रकारों के दफ्तर में घुमते थें वहां पत्रकार अब साहब के दफ्तर की तो बात ही छोड़ दिया जाए उनके घरों तक गुलदस्ता और मिठाई का पैकेट लेकर मिलने के पहुंच जाते है।

क्यों है आज के पत्रकार असूरक्षित

आज के समय में जो पत्रकार असूरक्षित होते जा रहे हैं जिसका मूल कारण है कोई भी अखबार या पत्रिका, या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व सोशल मीडिया के संस्थापक 65%से ज्यादा तर लोग किसी भी मीडिया कर्मि या पत्रकार को किसी प्रकार की सुरक्षा के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेते सिर्फ उनको एक छोटे बच्चे के तरह शाबासी देकर अपनी बातों में उलझाकर आपना काम निकलते हैं यदि कहीं भुल बस किसी रिपोर्ट से कोई ग़लत खबर चली जाती है तो उसका हिसाब भी उस रिपोर्ट को ही देना पड़ता है जों अपनी अखबार या पत्रिका या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल के लिए धूप गर्मी को समाचार लिखे के महसूस नहीं किया उसके निष्ठा और ईमानदारी की यह सजा होती है कि उसके उपर उसके संस्थापक के द्वारा ही अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है और उसे उस गलती कि सजा दिया जाता है जों वह किया ही नही होता है क्योंकि खबर प्रकाशित करने से पहले डेस्क पर बैठे हुए सहयोगी के खबर चेक करने के बाद उपसंपादक खबर देखते हैं उसके बाद ही खबर को प्रकाशित किया जा है या दिखाया जाता है लेकिन ऐसी में बैठे हुए लोग ज्यादा तौर रिपोर्ट की भेजी गई खबर को देखना उचित ही नहीं समझते जिससे रिपोर्ट असूरक्षित होते जा रहे हैं.

Bhagavan Upadhyay

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