Updated: 07/11/2023 at 6:14 PM
संजय सिंह (बलिया) : बलिया जनकुआक्टा के महामंत्री अवनीश पांडेय ने मीडिया से वार्ता कर बताया कि सतीश चंद्र कॉलेज के कर्मचारी व अध्यापक के बीच झड़प का यह साक्ष्य की तथाकथित कर्मचारी सतीश चंद्र कॉलेज का कर्मचारी है ही नही! बल्कि वह एक ब्लैक लिस्टेड कॉलेज के पूर्व ठेकेदार का पुत्र है और वह कॉलेज में आउटसोर्सिंग के तहत कार्य करता है! उसके आउटसोर्सिंग का सोर्स कोई और नही कालेज के बड़े बाबू/ अकाउंटेंट लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव है! जो कालेज मे बिगत 10 वर्षों से मठाधीशी करते हैं और कालेज के प्राचार्य व प्राध्यापकों व असहमत कर्मचारियों का तबतक उत्पीड़न करते हैं जबतक वह अपनी शर्तों पर प्राचार्य, शिक्षक व कर्मचारी को झुका नहीं लेते हैं। लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव ₹40000 में कॉलेज के कैंपस की घास कटवाने की बिल का भुगतान करवाना चाहते हैं।
जो कार्य महज महज ₹2000 के खरपतवार्नशी से हो सकता है, उसके लिए प्रबंधतंत्र 40000/रूपए नहीं देना चाहता है नहीं प्राचार्य देना चाहते हैं। संपत्ति अधिकारी डॉ आशुतोष यादव द्वारा भी उसे स्वीकार नहीं किया गया है और हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।कॉलेज के प्रबंध तंत्र व तीन पूर्व प्राचार्यों द्वारा भी उस बिल का भुगतान रोक दिया गया। तथाकथित कर्मचारी जिसका नाम लक्ष्मण है कॉलेज का कर्मचारी नहीं है बल्कि लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव के मातहत ठेकेदार जो कालेज प्रशासन द्वारा ब्लैकलिस्टेड है, का बेटा है और लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव के ललकारने पर डॉक्टर आशुतोष यादव की कालर पकड़कर मोबाइल छीन लिया, जिसे आशुतोष यादव ने दौडाकर लेना चाहा जिसमें वह गिर गया और आशुतोष ने अपनी मोबाइल ले ली।इसी घटना को लेकर सुबह जब मैं कालेज पहुंचा तो कर्मचारी धरने पर बैठे हुए थे।
दरअसल लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव कालेज के भ्रष्टतम कर्मचारी हैं जो एकबार सम्पूर्ण कालेज के छात्रों की फीस से अपना व्यक्तिगत काम कर लिए और कालेज में फर्जी बैंक जमा पर्ची ले आकर दे दिए।जब प्राचार्य के पास फीस की डिमांड आयी तो प्रकाश में आया कि यह जमा पर्ची फर्जी है! जाच में लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव निलंबित हुए। फिर जब पूरी फीस जमा किए, तब जाकर लिखित माफी नामें पर और भविष्य में दोबारा गलती न करने के आधार पर लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव को प्रबंध तंत्र में माफ कर दिया। लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव जब से डॉक्टर आशुतोष यादव संपत्ति अधिकारी बने हैं तब से उन्हें भिन्न-भिन्न तरीकों से परेशान करते रहते हैं ।कॉलेज के गेट पर पोर्च टूट जाने की घटना पर जनपद के एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा टिप्पणी करने पर प्रबंध तंत्र व प्राचार्य तथा वित्त समिति की अनुशंसा पर डॉ आशुतोष यादव निर्माण कार्य करा रहे हैं ।लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव चाहते हैं की इस ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार से कार्य कराये।किंतु प्रबंध तंत्र द्वारा अनुमति न मिलने के कारण डॉ आशुतोष यादव नये ठेकेदार से कार्य करा रहे हैं।
इस संदर्भ में प्राचार्य और प्रबंध तंत्र को छुब्ध होकर कई बार त्याग पत्र भी दिए हैं किंतु प्रबंध तंत्र द्वारा उसे स्वीकार नहीं किया गया और काम करते रहने को कहा गया। मैंने धरनारत कर्मचारियों से बात की। सीनियर कर्मचारी शिवशंकर सिंह ने कहा कि प्राचार्य एक जांच समिति बना दे और जो दोषी पाया जाए वह खेद प्रकट करें। मैंने यह बात प्राचार्य को बताई और अपनी सहमति भी दी। प्राचार्य तैयार हैं किंतु लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव अपने अहं में जिद पर अडे हैंऔर कालेज की परिसम्पतियों को आड़े हाथों लूटने के लिए और अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु सदैव सीधे सादे कर्मचारियों के कंधे का इस्तेमाल करते रहते हैं। कालेज में मिड टर्म परीक्षा चल रही है और कालेज परिवार मिलजुल कर काम करें ऐसा अधिकांश शिक्षक व कर्मचारी चाहते हैं किंतु जिद का कोई लोकतांत्रिक और सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं होता है।
जो कार्य महज महज ₹2000 के खरपतवार्नशी से हो सकता है, उसके लिए प्रबंधतंत्र 40000/रूपए नहीं देना चाहता है नहीं प्राचार्य देना चाहते हैं। संपत्ति अधिकारी डॉ आशुतोष यादव द्वारा भी उसे स्वीकार नहीं किया गया है और हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।कॉलेज के प्रबंध तंत्र व तीन पूर्व प्राचार्यों द्वारा भी उस बिल का भुगतान रोक दिया गया। तथाकथित कर्मचारी जिसका नाम लक्ष्मण है कॉलेज का कर्मचारी नहीं है बल्कि लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव के मातहत ठेकेदार जो कालेज प्रशासन द्वारा ब्लैकलिस्टेड है, का बेटा है और लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव के ललकारने पर डॉक्टर आशुतोष यादव की कालर पकड़कर मोबाइल छीन लिया, जिसे आशुतोष यादव ने दौडाकर लेना चाहा जिसमें वह गिर गया और आशुतोष ने अपनी मोबाइल ले ली।इसी घटना को लेकर सुबह जब मैं कालेज पहुंचा तो कर्मचारी धरने पर बैठे हुए थे।
दरअसल लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव कालेज के भ्रष्टतम कर्मचारी हैं जो एकबार सम्पूर्ण कालेज के छात्रों की फीस से अपना व्यक्तिगत काम कर लिए और कालेज में फर्जी बैंक जमा पर्ची ले आकर दे दिए।जब प्राचार्य के पास फीस की डिमांड आयी तो प्रकाश में आया कि यह जमा पर्ची फर्जी है! जाच में लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव निलंबित हुए। फिर जब पूरी फीस जमा किए, तब जाकर लिखित माफी नामें पर और भविष्य में दोबारा गलती न करने के आधार पर लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव को प्रबंध तंत्र में माफ कर दिया। लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव जब से डॉक्टर आशुतोष यादव संपत्ति अधिकारी बने हैं तब से उन्हें भिन्न-भिन्न तरीकों से परेशान करते रहते हैं ।कॉलेज के गेट पर पोर्च टूट जाने की घटना पर जनपद के एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा टिप्पणी करने पर प्रबंध तंत्र व प्राचार्य तथा वित्त समिति की अनुशंसा पर डॉ आशुतोष यादव निर्माण कार्य करा रहे हैं ।लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव चाहते हैं की इस ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार से कार्य कराये।किंतु प्रबंध तंत्र द्वारा अनुमति न मिलने के कारण डॉ आशुतोष यादव नये ठेकेदार से कार्य करा रहे हैं।
इस संदर्भ में प्राचार्य और प्रबंध तंत्र को छुब्ध होकर कई बार त्याग पत्र भी दिए हैं किंतु प्रबंध तंत्र द्वारा उसे स्वीकार नहीं किया गया और काम करते रहने को कहा गया। मैंने धरनारत कर्मचारियों से बात की। सीनियर कर्मचारी शिवशंकर सिंह ने कहा कि प्राचार्य एक जांच समिति बना दे और जो दोषी पाया जाए वह खेद प्रकट करें। मैंने यह बात प्राचार्य को बताई और अपनी सहमति भी दी। प्राचार्य तैयार हैं किंतु लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव अपने अहं में जिद पर अडे हैंऔर कालेज की परिसम्पतियों को आड़े हाथों लूटने के लिए और अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु सदैव सीधे सादे कर्मचारियों के कंधे का इस्तेमाल करते रहते हैं। कालेज में मिड टर्म परीक्षा चल रही है और कालेज परिवार मिलजुल कर काम करें ऐसा अधिकांश शिक्षक व कर्मचारी चाहते हैं किंतु जिद का कोई लोकतांत्रिक और सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं होता है।
First Published on: 07/11/2023 at 6:14 PM
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