फिर एक बार नारी के सम्मान को ठुकराया गया- लेखक-लखनवी आकाश

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फिर एक बार नारी के सम्मान को ठुकराया गया वो स्वर्ण मुद्रा समझकर मुझे लूटते गये, और मैं मुर्दा बनकर लुटती गई,, ना वो मुझे लूट कर रईस हो सके, और ना मैं लुट कर गरीब,, महज़ कुछ कपड़े ही तो थे मेरे तन पे, उसे भी ले गए कुछ शरीफ अमीर,, मैं कल भी […]

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