बरहज, देवरिया। बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत बरौली चौराहे पर आयोजित श्री राम कथा के सातवें दिन स्वामी पागला आनंद जी महाराज ने कहा कि जब व्यक्ति नाम का जाप करते-करते अनाम की ओर मुड़ जाता है। उसके रोम रोम से ओम की प्रति ध्वनि आने लगती है तो उसे ब्रह्म की प्राप्ति हो जाती है। जब तक व्यक्ति ब्रह्म के संपर्क में नहीं आता तब तक उसे सतगुरु की आवश्यकता पड़ती है ब्रह्मा की ओर मुड़ने के बाद गुरु का कार्य समाप्त हो जाता है। ब्रह्म से गुरु को बड़ा इसलिए माना जाता है कि वह ब्रह्म की ओर जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। आगे महाराज जी ने कहा कि ब्रह्म जो चाहता है वही होता है क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है, नट मर्कट इव सबही खेलावत, राम खगेश वेद अश गावत । प्रभु ही जिस प्रकार से नट जो है बंदर को खेलाता है उसी तरह से लोगों को खेलाते हैं। ब्रह्म की इच्छा से ही सृष्टि का संचालन है । और जो साधना करके ब्रह्म को जान गया उसका जीवन सार्थक हो गया। व्यासपीठ का पूजन सावित्री देवी भीमसेन बिंदु देवी गजानन संजना देवी आदि लोगों ने किया। कथा का सैकड़ो लोगों ने श्री राम कथा रसपान किया।