हिन्दू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुरुषोत्तम मास में अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान और तर्पण इत्यादि कर्म करने से साधकों को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का शुभारंभ 15 अगस्त दोपहर 12 बजकर 42 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 16 अगस्त दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर हो जाएगा।
श्रावण अधिक मास की अमावस्या तिथि के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। ऐसा करने के साथ वृक्ष की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए
इस विशेष दिन पर पीपल के अतिरक्त बरगद, तुलसी, शमी इत्यादि की पूजा भी करें। पीपल के वृक्ष की उपासना को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस वृक्ष में त्रिदेवों का वास होता है।
इस दिन भगवान शिव को काला तिल अर्पित करें। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही श्रावन अमावस्या तिथि के दिन तुसली के पौधे के निकट भी दीपक प्रज्वलित करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि के दिन स्नान-दान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में उत्पन्न हो रहे ग्रहों के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिल जाता है।
इस विशेष दिन पर पीपल के वृक्ष की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।