कुमार विश्वास की बेहतरीन शायरी, जिसे आपको जरुर पढ़ना चाहिए

कोई दीवाना कहता है,  कोई पागल समझाता है, मगर धरती की बेचैनी को  बस बादल समझता है। 

मोहब्बत एक अहसासों की,  पावन सी कहानी है, कभी कबिरा दीवाना था,  कभी मीरा दीवानी है, यहाँ सब लोग कहते हैं,  मेरी आंखों में आँसू हैं, जो तू समझे तो मोती है,  जो ना समझे तो पानी है।

भ्रमर कोई कुमुदनी पर  मचल बैठा तो हंगामा हमारे दिल में कोई ख्वाब पल  बैठा तो हंगामा अभी तक डूब कर सुनते थे  सब किस्सा मोहब्बत का मैं किस्से को हकीकत में बदल  बैठा तो हंगामा

कोई खामोश है इतना,  बहाने भूल आया हूँ किसी की इक तरनुम में,  तराने भूल आया हूँ मेरी अब राह मत तकना  कभी ए आसमां वालो मैं इक चिड़िया की आँखों में,  उड़ाने भूल आया हूँ

ना पाने की खुशी है कुछ,  ना खोने का ही कुछ गम है ये दौलत और शोहरत सिर्फ,  कुछ ज़ख्मों का मरहम है अजब सी कशमकश है, रोज़ जीने, रोज़ मरने में मुक्कमल ज़िन्दगी तो है,  मगर पूरी से कुछ कम है

पनाहों में जो आया हो,  उस पर वार क्या करना जो दिल हारा हुआ हो,  उस पे फिर से अधिकार क्या करना मोहब्बत का मज़ा तो,  डूबने की कशमकश में है जो हो मालूम गहरायी,  तो दरिया पार क्या करना

मेरे जीने मरने में,  तुम्हारा नाम आएगा मैं सांस रोक लू फिर भी,  यही इलज़ाम आएगा हर एक धड़कन में जब तुम हो,  तो फिर अपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेंगी,  तो घनश्याम आएगा

कोई पत्थर की मूरत है,  किसी पत्थर में मूरत है लो हमने देख ली दुनिया,  जो इतनी खुबसूरत है जमाना अपनी समझे पर,  मुझे अपनी खबर यह है तुझे मेरी जरुरत है,  मुझे तेरी जरुरत है

मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।