Gulzar latest Shayari गुलजार के ऐसे शायरी  जो आपके दिल को छू लेगा .

इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम, इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है।

तुझ से बिछड़ कर कब ये हुआ कि मर गए, तेरे दिन भी गुजर गए और मेरे दिन भी गुजर गए.

वो शख़्स जो कभी मेरा था ही नही, उसने मुझे किसी और का भी नही होने दिया.

सालों बाद मिले वो गले लगाकर रोने लगे, जाते वक्त जिसने कहा था तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे.

वक्त कटता भी नही वक्त रुकता भी नही दिल है सजदे में मगर इश्क झुकता भी नही

उतर रही हो या चढ़ रही हो ? क्या मेरी मुश्किलों को पढ़ रही हो ?

म्मीद तो नही फिर भी उम्मीद हो कोई तो इस तरह आशिक़ शहीद हो

तू समझता क्यूं नही है दिल बड़ा गहरा कुआँ है आग जलती है हमेशा हर तरफ धुआँ धुआँ है

एक बीते हुए रिश्ते की एक बीती घड़ी से लगते हो तुम भी अब अजनबी से लगते हो

तू समझता क्यूं नही है दिल बड़ा गहरा कुआँ है आग जलती है हमेशा हर तरफ धुआँ धुआँ है