कुमार विश्वास की दिल  छू जाने वाली शायरी

ना पाने की खुशी है कुछ,  ना खोने का ही कुछ गम है ये दौलत और शोहरत सिर्फ,  कुछ ज़ख्मों का मरहम है

 जल्दी घर जाने कजी इच्छा,  मन ही मन घुट जाती है, जब कॉलेज से घर लाने वाली, पहली बस छुट जाती है,

जब बेमन से खाना खाने पर,  माँ गुस्सा हो जाती है, जब लाख मन करने पर भी,  पारो पढने आ जाती है

जब कमरे में सन्नाटे की  आवाज सुनाई देती है , जब दर्पण में आँखों के  नीचे झाई दिखाई देती है ,

जब बड़की भाभी कहती हैं ,  कुछ सेहत का भी ध्यान करो , क्या लिखते हो दिनभर ,  कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,

जब बाबा वाली बैठक में  कुछ रिश्ते वाले आते हैं , जब बाबा हमें बुलाते हैं ,  हम जाते हैं , घबराते हैं ,

जमाना अपनी समझे पर,  मुझे अपनी खबर यह है तुझे मेरी जरुरत है,  मुझे तेरी जरुरत है

जब साड़ी पहने एक लड़की का, एक फोटो लाया जाता है , जब भाभी हमें मनाती हैं ,  फोटो दिखलाया जाता है , 

दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं , उसके दिल में भैया ,  तेरे जैसे प्यारे जज्बात नहीं , 

वो पगली लड़की नौ दिन  मेरे लिए भूखी रहती है , छुप -छुप सारे व्रत करती है ,  पर मुझसे कभी ना कहती है ,