दिल को छू जाने वाली  गुलज़ार के शायरी 

हम समझदार भी इतने हैं के उनका झूठ पकड़ लेते हैं और उनके दीवाने भी इतने के  फिर भी यकीन कर लेते है

दौलत नहीं शोहरत नहीं, न वाह चाहिए  “कैसे हो?” बस दो लफ़्जों  की परवाह चाहिए

कभी जिंदगी एक पल में  गुजर जाती है कभी जिंदगी का एक  पल नहीं गुजरता

जब से तुम्हारे नाम की  मिसरी होंठ से लगाई है मीठा सा गम मीठी सी  तन्हाई है।

मेरी कोई खता तो साबित कर जो बुरा हूं तो बुरा साबित कर तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने चल मैं बेवफा ही सही तू अपनी वफ़ा साबित कर।

पलक से पानी गिरा है,  तो उसको गिरने दो, कोई पुरानी तमन्ना,  पिंघल रही होगी।

मैंने मौत को देखा तो नहीं,  पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।  कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं, जीना ही छोड़ देता हैं।।

टूट जाना चाहता हूँ,  बिखर जाना चाहता हूँ,  में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।  मानता हूँ मुश्किल हैं, लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।।

सामने आए मेरे, देखा मुझे,  बात भी की, मुस्कुराए भी, पुरानी किसी  पहचान की ख़ातिर,  कल का अख़बार था,  बस देख लिया, रख भी दिया।।

दर्द हल्का है साँस भारी है, जिए जाने की रस्म जारी है।