Javed Akhtar Shayari: जावेद अख़्तर की दिल छू जाने वाली शायरी 

कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है  मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी 

जिधर जाते हैं सब जाना  उधर अच्छा नहीं लगता  मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता 

तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे  अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है 

डर हम को भी लगता है  रस्ते के सन्नाटे से  लेकिन एक सफ़र पर  ऐ दिल अब जाना तो होगा 

ऊँची इमारतों से मकाँ मेरा घिर गया  कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए 

तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद  निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो

इन चराग़ों में तेल ही कम था  क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे 

धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है  न पूरे शहर पर छाए तो कहना 

इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान  अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान 

याद उसे भी एक अधूरा अफ़्साना तो होगा  कल रस्ते में उस ने हम को पहचाना तो होगा