इस मंदिर के ऊपर से आज तक किसी ने भी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देखा है इस विशाल मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र और लाल ध्वज स्थित है। लेकिन आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि यह ध्वज हमेशा हवा के विपरीत लहराता है।
कहा जाता है की भू-गर्भ से निकल रही यह नौ ज्वालाएं देवी के नौ रूपों को समर्पित है।लेकिन यह ज्वालाएं भू-गर्भ से कैसे निकल रही है और यह कब तक जलती रहेंगी इसका पता किसी को भी नहीं है।कई वैज्ञानिक इस मंदिर में रिसर्च कर चुके हैं लेकिन आज तक वैज्ञानिक भी इस प्रज्वलित ज्वाला के रहस्य को नहीं जान पाए हैं।
इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भगवान काल भैरव की मूर्ति को मदिरा पिलाई जाती है। कई सालों से इस मंदिर में काल भैरव को मदिरा पिलाने की परंपरा है।आश्चर्य की बात यह है कि मदिरा का प्याला काल भैरव की प्रतिमा के मुख से लगाया जाता है तो वह एक पल में खाली हो जाता है।
इस मंदिर में सात गुप्त तहखाने हैं जिन्हें साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने खोलने का आदेश दिया था। पहले और दूसरे दरवाजे को तो खोल दिया गया लेकिन तीसरे दरवाजे पर नाग की आकृति बनी थीं।और इस दरवाजे पर ताला और कुंडी भी नहीं लगे थे पुजारियों का यह भी कहना है कि अगर इस दरवाजे को खोलने की भी कोशिश की गई तो इस धरती का अंत हो जाएगा।
यह मंदिर तीन भागों में बंटा है। इसके पहले हिस्से में हर किसी को जाने की इजाजत नहीं है। दूसरे हिस्से माता के दर्शन होते हैं। यहां पर एक पत्थर से हमेशा पानी निकलता रहता है। बताया जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा बहती है। यह क्यों और कैसे होता है। इस बात का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए।
माना जाता है कि यहां पर भगवान हनुमान जागृत अवस्था में विराजमान हैं। बताया जाता है कि जिन लोगों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्मा का साया होता है। वह प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर में आते ही लोगों के शरीर से बुरी आत्माएं और भूत-पिशाच पीड़ित व्यक्ति के शरीर से निकल जाता है। इस मंदिर में रात को रुका नहीं जा सकता है और यहां का प्रसाद भी घर नहीं लेकर जाया जा सकता है।