महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलता है। जैसे काम और निजी जीवन के बीच एक संतुलन बनाना जरूरी है, वैसे ही दूसरे रिश्तों के साथ खुद को प्राथमिकता देना भी आवश्यक है।
भागदौड़ भरी जिंदगी में पुरुष हो या महिला समय-समय पर बीपी की जांच करवाना सभी के लिए आवश्यक है। इसे नजरअंदाज करने से व्यक्ति हाइपरटेंशन की चपेट में आ सकता है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं (खासतौर से 35 की उम्र) नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाती रहें।
डायबिटीज महिलाओं में ऐसे हेल्थ कॉम्प्लिकेशन्स पैदा कर सकता है, जिसका असर लंबे समय तक अलग-अलग फेज़ में नजर आता है। खासतौर से प्रेग्नेंसी, पोस्टपार्टम, स्तनपान और मेनोपॉज के दौरान। डायबिटीज को डायग्नोस करने के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं|
थायरॉयड की जांच महिलाओं के लिए काफी जरूरी है। हालांकि, अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। थायरॉयड ग्लैंड के फंक्शन्स की समय रहते जांच की जाती है, जो स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं। कभी-कभी अचानक वजन बढ़ना या वजन कम होना थायरॉयड के भी संकेत हो सकते हैं।
समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाते रहने से आपके शरीर में अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अंदाजा लगता रहता है। हाई कोलेस्ट्रॉल होने से एक उम्र में दिल की समस्याओं और यहां तक कि स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि ये ब्लड वेसेल्स में जमा हो जात है।
शरीर के सभी अंगों की तरह हड्डियों का हेल्दी रहना भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए शरीर में विटामिन D का भरपूर मात्रा में होना जरूरी है। विटामिन डी इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ डायबिटीज, हार्ट डिजीज और कुछ तरह के कैंसर जैसी बीमारियों से सुरक्षा करने में मदद कर सकता है।
समय रहते सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए। इसमें पैप स्मीयर टेस्ट शामिल है।
स्तन कैंसर भारत में कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है, जिसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। डॉक्टर्स भी हर महिला को इसकी नियमित स्क्रीनिंग से गुजरने की सलाह देते हैं। 40 या उससे अधिक उम्र वालों को हर साल मैमोग्राम जांच कराना चाहिए।
पुरुषों और महिलाओं दोनों में एलर्जी को डायग्नोस करने के लिए एलर्जेन-स्पेसिफिक आईजीई (Allergen-Specific IEG) टेस्ट कराना बेहद जरूरी है। लेकिन यह उन महिलाओं खासतौर से महत्व रखता है, जो प्रेग्नेंट हैं या गर्भ धारण करने की योजना बना रही हैं।
अक्सर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या देखने को मिलती है, जिसमें हड्डियां नाजुक और कमजोर हो जाती हैं। मेनोपज के बाद एस्ट्रोजन लेवल कम होने लगता है, जिसके कारण यह स्थिति और बिगड़ जाती है। यही वजह है कि इस दौरान हड्डियों की देखभाल करना और भी जरूरी हो जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण ब्लड टेस्ट है जिससे कई तरह की हेल्थ ईशूज की पहचान करने में मदद मिल सकती है। इससे संक्रमण, एनीमिया और ब्लड डिस्ऑर्डर जैसी परेशानियों का पता लगाया जा सकता है।