When is Diwali 2024: Date, Timings, History and More : हर साल दिवाली या दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पुजा की जाती है. भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर मां सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापिस लौटे थे, जिसकी खुशी में अयोध्या के सभी नगरवासियों ने दीपक जलाए थे. दीवाली से पहले ही लोग साफ सफाई कर तैयारी शुरु कर देते हैं. इस दिन लोग अपने घरों को दीए, रंगोली , लाइट्स आदि चीजों से सजाते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि आखिर दिवाली मनाई क्यों जाती है या इस पर्व की शुरुआत कब और कैसे हुई थी. दिवाली मनाने के पीछे बहोत सी पौराणिक कथाएं हैं जो बेहद महत्वपूर्ण हैं. आइए जानते हैं उन कथाओं के बारे में.
रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम लंकापति रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटे तो पूरी अयोध्या नगरी उस दिन दीपों से सजी हुई थी. ऐसी मान्यता हैं कि 14 वर्षों के वनवास के बाद भगवान राम के अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई जाती है. श्री राम के आगमन पर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे. तभी से दिवाली का यह पर्व अंधकार पर विजय का पर्व बन गया.
दिवाली से संबंधित एक और कथा है कि समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी जी का सृष्टि में अवतार हुआ था. यह भी दीवाली पर्व के मुख्य कारणों में से एक है. मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा जाता है. इसीलिए दीवाली में हर घर में दीप जलाए जाते है और उसके साथ- साथ हम मां लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं. यह दीपावली मनाने का भी एक मुख्य कारण है.
दिवाली को लेकर कई कथाओं में से एक कथा पांडवों के घर लौटने की भी है. आपको याद दिला दें कि पांडवों को भी 13 वर्षो तक का वनवास मिला था, जिसके बाद पांडव घर लौटे थे इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया था और तभी से दिवाली त्यौहार की शुरूआत हुई.
एक और कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से राजा नरकासुर का वध किया था. नरका सुर को सिर्फ़ स्त्री के हाथों से ही वध का श्राप मिला था. जिस दिन नरकासुर का वध हुआ उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. नरका सुर के वध के बाद और उसके आतंक और अत्याचार से मुक्ति मिलने की खुशी में लोगों ने दीपोत्सव मनाया था. उसके अगले दिन दिवाली मनाई गई थी.
एक कथा के अनुसार एक राक्षस का वध करने के लिए जब माता पार्वती ने महाकाली का रूप धारण किया था. उसके बाद उनका क्रोध शांत ही नहीं हो रहा था. तब उनका क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. तभी भगवान शिव के स्पर्श से महाकाली का क्रोध शांत हुआ था. इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई. इसी रात उनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है.
इसी घटना में अंतिम हिंदू सम्राट राजा विक्रमादित्य की कहानी भी दिवाली के साथ जुड़ी हुई है. विक्रमादित्य महाराज प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे. वे बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके साहस, उदारता, और विद्वत्ता के कारण हमेशा जाना जाता है. कार्तिक अमावस्या को ही उनका राज्याभिषेक हुआ था. विक्रमादित्य महाराज मुगलों को धूल चटाने वाले हिंदुस्तान के अंतिम हिंदू सम्राट थे.
भारत में मनाए जाने वाला त्यौहार हिंदुओ का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है. दीवाली कुल 5 दिनों का त्यौहार है जिसमे धनतेरस, छोटी दिवाली, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं. साल 2024 में दिवाली एक नवंबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. पांच दिनों वाला यह पर्व 29 अक्टूबर से शुरू होगा और 3 नवंबर तक चलेगा. दिवाली का यह पर्व धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज पर समाप्त होता है.
हर साल दीवाली से पहले मनाए जाने वाला धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार दिवाली के आने की पूर्व सूचना देता है. शास्त्रों के अनुसार, यह त्यौहार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने से है ऐसी मान्यता हैं कि भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे. हिंदु धर्म में मान्यता है कि संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि के रुप में अवतार लिया था. भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का पर्व मनाया जाता है.
धनतेरस के दूसरे दिन मनाए जाने वाला त्यौहार जिसे हम नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रुप में जानते हैं. यह त्यौहार अश्विन या कार्तिक के अंधेरे पखवाड़े के चौदहवें दिन पड़ता है. छोटी दिवाली का त्यौहार छोटी का अर्थ है छोटा, नरक का अर्थ है नरक और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां. हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह खुशी का दिन श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा द्वारा राक्षस नरकासुर का वध करने से जुड़ा है. नरकासुर ने 16 हजार राजकुमारियों का अपहरण किया था.
प्रकाश पर्व दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. दीवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता हैं. भगवान श्रीराम के चौदह सालों के वनवास के बाद और रावण का वध करने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है. दीवाली के त्यौहार पर रात में मां लक्ष्मी और गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं. दीवाली पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमे भगवान श्रीराम के माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या आना और भगवान श्री कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा द्वारा नरकासुर का वध होना ये कथा मुख्य रूप से प्रचलित हैं.
दिवाली के अगले दिन मनाए जाने वाला त्यौहार जिसे हम गोवर्धन पूजा के रुप में जानते हैं. यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष का पहला दिन होता है. हमारे देश के कुछ हिस्सों में इसे अन्नकूट (अनाज का ढेर), गोवर्धन पूजा, पड़वा, बाली प्रतिपदा, बाली पद्यामी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है. देश में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्र के प्रकोप से भगवान कृष्ण ने होने वाली लगातार बारिश और बाढ़ से खेती और गांवों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था. इसके बाद सभी गोकुल वाशियो ने भगवान श्री कृष्ण के लिए 56 भोग बनाए थे, उसके साथ ही तभी से गोवर्धन पूजा की जाने लगी.
दिवाली पर्व के पंच दिवसीय का अंतिम दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन होता है. इस दिन को भाई दूज,भाई तिलक, भाऊ बीज, या भाई फोंटा के नाम से मनाया जाता है. कुछ लोग इस दिन को यम की बहन यमुना द्वारा यम का तिलक लगाकर स्वागत करने के संकेत के रूप में देखते हैं, जबकि कई लोग इसे भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा द्वारा नरकासुर की हार के बाद सुभद्रा के घर में श्रीकृष्ण के प्रवेश के रूप में देखते हैं. सुभद्रा ने उनके के माथे पर तिलक लगाकर भगवान कृष्ण का स्वागत किया था.
दिवाली हिंदुओ के महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं. यह त्यौहार हिंदू चंद्र-सौर महीनों अश्विन और कार्तिक को मनाया जाता है. आम तौर पर यह पर्व मध्य अक्टूबर और मध्य नवंबर के बीच आता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या के दिन मनाई जाती हैं.
दीपो का त्यौहार दीवाली शुक्रवार, 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. द्रिकपंचांग के अनुसार, दीवाली पुजा का सबसे शुभ समय शाम 5:36 से शाम 6:16 बजे के बीच है.
• दिवाली की रात को घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाए क्योंकि यहीं से मां लक्ष्मी का आगमन होता है. साथ ही घर के द्वार को साफ सुथरा रखें और घर को रंगोली, फूलों आदि से सजाएं. मां लक्ष्मी को ये चीजें बेहद प्रिय हैं.
• धन का सीधा संबंध मां लक्ष्मी से होता है. जिस स्थान पर भी आपका धन रखा जाता है, वो स्थान मां लक्ष्मी का होता है. उस जगह पर दीवाली के दिन पूजा के बाद एक दीपक जरूर रखें. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
• दिवाली की रात को पूजन के बाद भंडार गृह में दीपक जलाना चाहिए, भंडार गृह मां लक्ष्मी के स्थानों में से एक माना जाता हैं. अगर घर में ऐसा किया जाए तो घर में अन्न की कमी कभी नहीं रहती.
• जिस वाहन को आप चलाते हैं, वो भी आपकी संपत्ति ही है. उसके पास भी एक दीपक जरूर रखें. और दीवाली में जरूर साफ करे. इससे मां लक्ष्मी की कृपा रहती है.
• आपके घर के पास अगर कोई मंदिर है तो वहां एक दीपक जरूर जलाएं. इससे भगवान का आशीर्वाद सदा ही आपके साथ रहेगा. अगर मंदिर नहीं है तो कोई बात नहीं आप इस दीपक को घर के मंदिर में रख दें.
• पानी के कोई भी स्रोत घर के पास है, तो उसके पास एक दीपक जरूर जलाना चाहिए. मां लक्ष्मी को प्रकृति के रुप में भी माना जाता हैं. जल प्रकृति के अभिन्न अंगों में से एक ही है.
• हिंदु धर्म के अनुसार पीपल के वृक्ष में 33 कोटि देवताओं का वास होता है. पीपल के वृछ को नारायण का स्वरूप भी कहते है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा कि वृक्षों में मैं पीपल हूं. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जरूर रखें इससे मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न रहती हैं क्योंकि वो दीपक भगवान नारायण को समर्पित होता है.
• घर के आंगन में एक दीपक तुलसी के पौधे के पास रखना चाहिए. तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है. इससे मां लक्ष्मी और हरी नारायण दोनों की कृपा प्राप्त होगी.
इस वर्ष दीवाली 1 नवंबर 2024 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी.
दीवाली का त्यौहार भगवान श्रीराम के माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लोटने की ख़ुशी में मनाया जाता हैं. दीवाली से जुड़ी और भी कई कहानियां प्रचलित हैं.
दिवाली पर मुख्य रूप से भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पुजा की जाति हैं.
धनतेरस इस बार 10 नवंबर को मनाई जाएगी