World Sleep Day 2023: जीवन में सांस लेना भोजन करना और पानी पीना जितना आवश्यक होता है, नींद भी उतनी ही जरूरी होती है. जीवन में नींद के महत्व को विज्ञान शास्त्रों में समझाया गया है. शास्त्रों के साथ ही विज्ञान भी इस बात को मानता है, कि गलत समय पर सोना गलत तरीके से सोना या तनाव के कारण नींद ना आना व्यक्ति के लिए कितना हानिकारक साबित होता है. इसी के तहत हर साल ह्यूमन स्पेशल राइट के रूप में वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है. लोगों के बीच नींद के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए भी यह दिवस मनाया जाता है. अक्सर देखा गया है कि इंसान आज के युग में दौड़ भाग के बीच नींद से समझौता कर लेता है.आपको यह जानकारी दे दें हर साल वसंत विषुव से पहले आने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है. इस साल वर्ल्ड स्लीप डे आज यानी 17 मार्च 2023 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा साथ ही 2024 में यह दिन 15 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. आज के युग में वर्ल्ड स्लीप डे के तहत सोसाइटी में हर साल इसका आयोजन करने का मुख्य कारण नींद का जश्न मनाना और नींद के महत्व से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करना होता है. जो इंसान के स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव देता है.
आज के समय पर नींद को एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी व्यवहार नहीं माना जाता. वर्ल्ड स्लीप डे का पालन लोगों को नींद के महत्व के बारे में जानकारी देना है और नींद की समस्याओं की बेहतर मैनेजमेंट के मदद से समाज पर नींद संबंधित कई बीमारियों के बोझ को कम करना है. वैसे अगर हम इसके इतिहास के बारे में बात करें तो यह दिन पहली बार साल 2008 में वर्ल्ड स्लीप सोसायटी की ओर से मनाया गया था. वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी का पहले पुराना एक नाम था, वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ स्लीप मेडिसिन (WASM). यह एक नाम प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन है. जिस कारण इसमें मेडिकल फील्ड वाले लोग काम करते हैं और नींद से जुड़ी समस्याओं के बारे में काफी स्टडी करते हैं.
आज के समय में लोगों की जीवनशैली काफी व्यस्त हो गई है. लोग लंबे समय तक काम करते ही रहते हैं.लोगों को ट्रैवलिंग में समय लग जाता है.कुछ सालों में परफारमेंस को अच्छा लगने के लिए नींद लेने का महत्व काफी बढ़ गया है.परिणाम यह रहा है, कि लोग वर्ल्ड स्लीप डे जैसे दिवस के महत्व को काफी बढ़ावा दे रहे हैं. इस दौरान लोगों नींद स्वास्थ को बढ़ावा देने का एक अवसर मानते हैं. अन्य लोगों को भी इसके मदद से वर्ल्ड स्लीप डे पर नींद स्वास्थ्य के बारे में प्रचार करना चाहिए और नींद से जुड़ी बातों को बढ़ाने में मदद करनी चाहिए. आपको बता दी इस साल है “स्लीप इज एसेंशियल फॉर हेल्थ.”
हिंदू धर्म और हिंदू शास्त्र में पूजा-पाठ और व्रत-उपवास के साथ ही उठने, बैठने,भोजन करने,सौच आदि के साथ ही नींद के नियमों के बारे में भी काफी विस्तार में बताया गया है. जिनका पालन करने से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा का संचार,चेतना और अध्यात्मिक उन्नति होती है. आज वर्ल्ड स्लीप डे के मौके पर आइए जानते हैं, शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को कितनी देर किस दिशा और किस समय पर सोना चाहिए.
• भविष्य पुराण में के अनुसार, सोने के पहले अपको रोज हाथ पैर धोकर सोना चाहिए.
• विष्णु पुराण के तहत कभी भी मेरी यादों के बिस्तर पर ही होना चाहिए सोने से पहले हमेशा बिस्तर को साफ करें या साफ चादर बिछाकर ही सौए.
• मनुस्मृति नामक ग्रंथ में बताया गया है कि, कभी भी सुने या निर्जल घर में अकेले नहीं सोना चाहिए. इसके साथ ही कभी किसी देव मंदिर या शमशान में भी नहीं सोना चाहिए.
• पद्मा पुराण के अनुसार व्यक्ति को स्वस्थ शरीर और लंबी आयु के लिए ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना चाहिए.
• चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे लोग जो विद्यार्थी, नौकर, या द्वारपाल होते हैं, उन्हें अधिक नहीं सोना चाहिए.
शास्त्रों में सोने की दिशा का महत्व
• हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार कभी भी दरवाजे की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए स्थित सुख समृद्धि में कमी आती है.
• शास्त्रों में यह भी मान्यता है कि, दक्षिण दिशा में पैर करके नहीं सोना चाहिए.
“उत्तरे पश्चिमे चैव न स्व्पेध्दि कदाचन,
स्वप्रदायु: क्षयं याति ब्रम्हहा पुरुषो भवेत.
न कुर्वीत तत: स्वप्रं शस्तं च पुर्व दक्षिणम”
इस श्लोक का अर्थ है कि, हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए. इसके अलावा पश्चिम और उत्तर दिशा में चेहरा करके नहीं सोना चाहिए. उत्तर और पश्चिम में सिर करके सोने से रोग में वृधी होती हैं और आयु कम होती है.
• शास्त्रों में कहा गया है कि कभी भी शाम के समय और विशेश रूप से गोधूलि बेला में नहीं सोना चाहिए. इससे घर की सुख समृद्धि खतम होती है और व्यक्ति की आयु कम हो जाती है.
• शास्त्रों के अनुसार रात्रि के पहले पहर में सो जाना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संध्यावंदन करना चाहिए.
• इस युग के आधुनिक समय और जीवनशैली में अगर ऐसा संभव ना हो तो जल्दी सोने और जल्दी उठने का प्रयास करें इसी.
• दिन का दूसरा पर मध्यान कहलाता है जो कि सुबह 9:00 से दोपहर 12:00 बजे का होता है. इस समय में भूलकर भी नहीं सोना चाहिए.
• या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
•वाराणस्यां दक्षिणे तू कुक्कुटो नाम वै द्विज:।
तस्य स्मरणमात्रेण दु:स्वपन: सुखदो भवेत।।
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