तमाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पदकों पर निशाना लगा चुकी दून की दिव्यांग शूटर दिलराज कौर आज जीवनयापन के लिए नमकीन और बिस्किट बेचने को मजबूर हैं। उनके नाम पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में 24 स्वर्ण आठ रजत और तीन कांस्य हैं।
उन्होंने बताया की “मैंने 2004 में शूटिंग शुरू की और राष्ट्रीय स्तर पर 28 स्वर्ण, 8 रजत और 3 कांस्य पदक जीते और कुछ अंतरराष्ट्रीय खेल भी खेले। मेरे पिता की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। मेरे भाई की भी हाल ही में मृत्यु हो गई। हमें बहुत पैसा खर्च करना पड़ा उनका इलाज किया और ऋण लिया था। हर महीने की 20 तारीख के बाद, हमारे पास पैसे नहीं बचे हैं। मैंने सरकारी अधिकारियों से बार-बार अनुरोध किया है कि मुझे शिक्षा और खेल में मेरी योग्यता के अनुसार नौकरी दें, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
दिलराज ने सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि आत्मनिर्भर बनो। मैं नमकीन-बिस्किट बेचकर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रही हूं। तीन-चार महीने से घर के आसपास अस्थायी दुकान लगा रही थी, मगर वहां ज्यादा बिक्री नहीं होती थी। किसी ने सुझाव दिया कि भीड़ वाले क्षेत्र में दुकान लगाओ तो गांधी पार्क के बाहर काम शुरू कर दिया|
दिलराज का कहना है की जो उनके पास प्राप्त उपलब्धियां हैं, उसके अनुसार उन्हें खेल या दिव्यांग कोटे से नौकरी मिलनी चाहिए। दिलराज बताती हैं कि इसके लिए उन्होंने हर स्तर पर गुहार लगाई। कई बार आवेदन भी किया, मगर हर बार निराशा ही हाथ लगी।