New Delhi: शराब घोटाले के मामले में गुरुवार 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया. गिरफ़्तारी के बाद आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 22 मार्च को सुनवाई करेगा.
गिरफ़्तारी के विरोध में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता देशभर में प्रदर्शन करेंगे. इस मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे- क्या केजरीवाल गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देंगे? अरविंद केजरीवाल को राहत मिलेगी या जेल जाने के बाद भी वो मुख्यमंत्री बने रहेंगे. अगर ऐसा होगा तो उनके लिए सरकार चलाना कितना आसान होगा?
वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद चर्चाएं है कि दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील विनीत जिंदल जी ने दावा किया है की कानून के मुताबिक, दोषी ठहराए जाने तक केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को लेकर बाध्य नहीं हैं. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, अयोग्यता प्रावधानों की रूपरेखा देता है, लेकिन किसी को पद से हटाने के लिए दोष सिद्ध करना आवश्यक है. यानी ED को यह साबित करना होगा कि केजरीवाल दोषी हैं.
LG की भूमिका के संबंध में, अरविंद केजरीवाल को CM बने रहने के लिए जेल से राहत लेने की आवश्यकता होगी, या LG दिल्ली के शासन को लेकर अनुच्छेद 239 AA के तहत मौजूदा सरकार को निलंबित करने के लिए राष्ट्रपति को शामिल कर सकते हैं.
वहीं राष्ट्रपति शासन के लिए उपराज्यपाल अनुच्छेद 239AB के तहत ‘संवैधानिक मशीनरी की विफलता’ को उचित ठहरा सकते हैं, जिसके वजह से संभावित रूप से अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ सकता है. और केंद्र सरकार को आसनी से दिल्ली पर नियंत्रण का निर्देश दीया जा सकता है.
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देश के कानून के अनुसार, अगर कोई सरकारी अधिकारी जेल जाता है तो उसे तुरंत निलंबित करने का नियम है, लेकिन हमारे राजनेताओं के लिए ऐसा कुछ स्पष्ट नहीं है. इस तरह अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं तो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन को लागू किया जा सकता है.
आख़िर राष्ट्रपति शासन कब-कब लागू किया जा सकता है, इसे समझ लेते हैं. देश के संविधान का अनुच्छेद 356 कहता है कि, किसी भी राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होने पर या किसी तरीके का व्यवधान पैदा होने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है. दो बातों को आधार बनाया जा सकता है. पहला, जब वहा की सरकार संविधान के मुताबिक, सरकार चलाने में सक्षम नही हो और दूसरा, जब राज्य की सरकारें केंद्र सरकार के द्वारा दिए निर्देशों को लागू करने में विफल रहती है.
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने पर कैबिनेट को भंग कर दिया जाता है. वहा की राज्य की पावर राष्ट्रपति के पास आ जाती है. उनके आदेश पर ही मुख्य सचिव, राज्यपाल, और दूसरे सलाहकारों या प्रशासकों की नियुक्ति की जाती है.