क्या आपको पता है रावण के बारे में ये रोचक बातें !

रामायण में नकारात्मक रूप से चित्रित दशानन अर्थात रावण के बारे में आप सभी की धारणा शायद महिलाओं संभुक्त और महाशक्तिशाली राक्षस के रूप में बन गई । परंतु क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म शास्त्रों में में रावण के बारे में अदभुतऔर श्रेष्ठ बातों का भी वर्णन किया गया जिसे कभी उजागर नहीं किया गया या इसे किस तरह से भी समझा जा सकता है कि शायद  रावण को नकारात्मक रूप से चित्रित करने के लिए उसके अच्छे कर्मों और ज्ञान को छुपाया गया है। आज के इस कहानी में हम बात करेंगे रावण के उन्ही अच्छे कर्मों में से से 11 अक्षर अच्छे कर्मों के बारे में जो रावण के बारे में बनी आप इस नकारात्मक धारणा को बदल दे। या आप भी देश की कुछ भागों की तरह रावण की पूजा करने लगेंगे।

आपको जानकर हैरानी होगी की रावण से बड़ा कोई शिवभक्त नहीं हुआ ना ही उसकी ज्ञान की तुलना कोई कर पाया रावण इतना विद्वान था। उसने बहुत से धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक ग्रंथों की रचना की । रावण के इस पहलू के बारे में सुनकर शायद आप आश्चर्यचकित हो गए हो । आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ तथ्यों के बारे में जो रावण की अपार शिव भक्ति को बताता है.

रावण के बारे में जानें रोचक बातें-1

एक बार की घटना है शिव की भक्ति में लीन रावण कैलाश को उठाकर लंका ले जाने की कोशिश कर रहा था। रावण के कर्म को देख कर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और क्रोध में आकर भगवान शिव ने अपने अंगूठे से कैलाश को दबा दिया जिसे रावण एक उंगली कैलाश पर्वत के नीचे आकर दब गई। जिसे पीड़ा में होते हुए भी रावण शिव तांडव करने लगा उसके अनन्य भक्ति भाव को देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। और उसे रावण की उपाधि दी वास्तव में उसका नाम भी तभी से रावण पड़ा. आइए जानते हैं रावण के ऐसे ही दूसरे तथ्यों के बारे में जो जानकर आपको भी लगेगा की वास्तव में रावण उस काल का सबसे विद्वान पुरुष था। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि रावण जब युद्ध में पराजित होकर मृत्यु के समीप पहुंच चुका था। सब भगवान को ज्ञात हो गया था कि रावण बहुत ही विद्वान है। इसलिए उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को रावण के पास उसके अंतिम अक्षर सुनने को भेजा तब रावण ने लक्ष्मण जी को जीवन के तीन ऐसी सच्चाई यों के बारे में बताया। जोकि जनमानस के लिए ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक है पहला -कभी भी शुभ काम में देरी नहीं करनी चाहिए। और अशुभ काम को जितना हो सके उतना टालना चाहिए । कभी भी अपने शत्रु और रोग को छोटा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि रावण नहीं यही गलती की थी उसने वानरों को तुच्छ समझा जिसके परिणाम स्वरूप रावण को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा । तीसरी चीज यह बताई कि मनुष्य को अपना रहस्य किसी को नहीं बताना चाहिए फिर वह चाहे आपका कितना भी अपना हो क्योंकि रावण के साथ यही हुआ क्योंकि उसने अपना अमृत कुंड का भेद अपने भाई विभीषण को बता दिया था। जो उसके मृत्यु का कारण बना.

रावण के बारे में जानें रोचक बातें-3

आप जानते हैं तीसरे ऐसे कृत्य के बारे में जो रावण की छवि को दर्शाता है। रावण एक घोर तपस्वी था जिसने अपने तब से ऐसी विद्या है और शक्तियां हासिल की जो रावण को सर्व शक्तिशाली बाकी राक्षसों से अद्भुत बनाती थी। रावण ने त्रिदेव की तपस्या की और सभी से अलग अलग प्रकार के वरदान और शक्तियां प्राप्त की अपने वरदान में से एक वरदान रावण ने ब्रह्मा जी से भी प्राप्त किया। वास्तव में रावण अमर होना चाहता था।

इसी उद्देश्य उसने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की। जिसके परिणाम स्वरूप उसकी तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उसकी इच्छा पूर्ति करते हुए वरदान दिया कि। आज से तुम्हारे प्राण तुम्हारे नाभि में संग्रहित होंगे ईश्वरदान के परिणाम स्वरूप रावण किसी भी युद्ध में पराजित नहीं हुआ । राम और उनकी वानर सेना से भी युद्ध में रावण और उसकी सेना राम पर भारी पड़ी। परंतु विभीषण को रावण के नाभि में संग्रहित अमृत कुंड के रहस्य के बारे में पता था । जिसे विभीषण ने श्री राम को जाकर बता दिया और भगवान श्री राम रावण को युद्ध में पराजित करने में सफल रहे। तभी से विभीषण को घर का भेदी में कहां गया विभीषण द्वारा यह रहस्य श्री राम को नहीं बताया गया होता तोआज युद्ध का परिणाम कुछ अलग ही होता।

रावण के बारे में जानें रोचक बातें-4

चौथे तथ्य के बारे में आगे बढ़ते हुए आपको बताते है रावण जन्म से जुड़ी एक सत्यता के बारे में वास्तव में रावण के पिता एक ब्राह्मण और माता राक्षसी थी । जिसके परिणाम स्वरूप रावण के अंदर एक ब्राह्मण जितना ज्ञान और राक्षसों जैसी शक्ति थी। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण फुल यतः मुनि का पोता था अर्थात वीसर्वा का पुत्र था विश्रवा की दो पत्नियाँ थीं – एक थी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी, जिससे रावण, कुम्भकर्ण उत्पन्न हुए, तथा दूसरी थी इडविडा- जिससे कुबेर तथा विभीषण उत्पन्न हुए। इडविडा चक्रवर्ती सम्राट तृणबिन्दु की अलमबुशा नामक अप्सरा से उत्पन्न पुत्री थी।

रावण के ऐसे ही कर्म के बारे में आपको बताते हैं जो रावण के बुद्धिमता का परिचय देता है वास्तव में रावण एक ऐसा बुद्धिमान और मायावी असुर था जिसके लिए किसी को भी अपनी बातों में फंसाना बहुत ही आसान था अपने इसी मायावी शक्तियों और बुद्धिमता से उसने इंद्र और सनी जैसे देव सर्वव्यापी देवताओं को भी बंदी बना लिया था। यही नहीं इसके अतिरिक्त आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लंका रावण द्वारा नहीं बनाई गई थी बल्कि इसका असली संस्थापक रावण का सौतेला भाई कुबेर था जिसे रावण ने अपनी बुद्धिमता का प्रयोग कर लंका पर अपना अधिकार कर लिया और बाद में इसका विस्तार दक्षिण भारत के कई राज्यों में किया रावण के बुद्धिमता बस यहीं तक सीमित नहीं है रावण एक ऐसा असुर था जिसमें मे ब्राह्मण और राक्षसी दोनों ही शक्तियों का ज्ञान था। उसके द्वारा कई ऐसे पौराणिक और आध्यात्मिक ग्रंथों का रचना की गई जो ज्ञान से परिपूर्ण है रावण की रचनाओं में सबसे अधिक चर्चित लाल किताब का उपयोग आज भी तांत्रिक काली विद्या और वशीकरण के लिए करते हैं कुछ पंडित इस पुस्तक का उपयोग कुंडली बनाने के लिए भी करते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि रावण का ज्ञान देव और असुरों के लिए बना एक अद्भुत ज्ञान था जिसकी तुलना किसी भी देव और असुर के लिए असंभव थी।

आपको यह भी बता दे की रावण एक बहुत ही अच्छा शासक था। जिसने अपनी सारी प्रजा को सारे सुविधा से परिपूर्ण किया। और उस प्रजा के लिए आज तक उससे अच्छा कोई शासक नहीं रहा। उसके किए हुए प्रजा के लिए प्रयत्न और कार्य इतने बड़े की आज तक श्रीलंका में रावण की पूजा की जाती है और लंका के अलावा भारत में भी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जैसे कई राज्य हैं जहां दशहरे के समय रावण को जलाया नहीं जाता बल्कि रावण की पूजा की जाती है। इसे हमें रावण की एक अच्छी शासक होने की पहचान मिलती है.

रावण रूद्रवीणा बजाने में माहिर था इस वीणा का उपयोग कर उसने ब्रह्मा और महादेव को कई बार प्रसन्न किया  और ऐसे असंभव वरदान और शक्तियां हासिल की जिसकी परिणाम स्वरूप रावण एक साधारण से असाधारण असुर बन गया रावण की छवि भले ही महिलाओं के संभोग करने के रूप में हो परंतु यह पूर्ण सत्य नहीं है रावण अपने परिवार और परिजनों को लेकर बहुत ही भावुक था वह अपनी बहन भाइयों और परिवार को लेकर किसी भी तरह का धर्म, अधर्म, सत्य, असत्य की परवाह नहीं करता था। चाहे उसे इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े लेकिन इसी परिवार प्रेम के कारण रावण को अपने प्राण त्यागने पड़े। क्योंकि रावण लक्ष्मण द्वारा अपनी बहन सुपनखा के अपमान सह ना सका और जब सुपनखा अपनी कटी हुई नाक लेकर अपने भाई के सामने प्रस्तुत हुई तब गुस्से से लाल रावण अपने आप को नहीं रोक सका और अपनी बहन का बदला लेने के लिए लक्ष्मण को ढूंढते हुए वन में पहुंच गया। तब बदला लेने का मन में यही विचार आया कि यही सही तरीका है और व सीता हरण जैसा पाप कर बैठा; जो आगे चलकर उसकी मृत्यु का कारण बना. भले ही रावण को महिलाओं का अपमान करने वाला कहा जाए परंतु उसने कभी सीता को सीता के इच्छा के खिलाफ उन्हें छूने का प्रयास भी नहीं किया। और यही नहीं बल्कि रावण अपनी पत्नी को बचाने के लिए यज्ञ से उठ गया जिसके परिणाम स्वरूप राम से युद्ध में विजय निश्चित था लेकिन इसकी परवाह न करते हुए अपनी पत्नी को सबसे ऊपर रखा और उसकी रक्षा की।

रावण की मृत्यु के बाद उसके शव का क्या हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन इसके पीछे की भी एक विचित्र कथा बताई जाती है। कहा जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी। उसके शव को नाग जाति के लोग पुनर्जीवित करने के उद्देश से लेकर गए उनका मानना था जब लक्ष्मण को संजीवनी बूटी से पुनर्जीवित किया जा सकता है तो रावण के साथ ऐसा क्यों नहीं हो सकता।

परंतु उनके कई प्रयास करने के बावजूद भी व रावण को पुनर्जीवित नहीं कर पाए अपने प्रयासों में असफल होने के बाद नाग जाति नहीं रावण के शव को 158 किलोमीटर दूर रंगाला में एक ताबूत में रख दिया। इससे जुड़ी सत्यता की जांच करने के लिए कई बार उस जगह की जांच भी की गई रिसर्च के दौरान वहां एक 18 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा ताबूत भी पाया गया। जिस से जुड़ी बहुत ही रहस्यमय और काल्पनिक बातें भी सुनी जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि वहां जाने वाले लोग भ्रमित हो जाते हैं या वो लौट कर नहीं आते इन सब की बात ऐसा भी माना जाता है कि रावण के पास चार पुष्पक विमान भी थे जो बिल्कुल भी साधारण नहीं थी रावण का विमान वायु की गति से चलने वाला बहुत ही अद्भुत विमान थे जिन्हें रावण अपनी इच्छा अनुसार छोटा या बड़ा कर सकता था औऱ अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी मोड़ सकता था ।

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ये पुष्पक विमान वास्तव रावण के सौतेले भाई कुबेर ने ब्रम्हा से वरदान स्वरूप प्राप्त किया था । रावण ने बल का प्रयोग कर कुबेर से युद्ध मे प्राप्त किया। श्रीलकन पुरातत्व के अनुसार कमेटी  के अध्यक्ष अशोक केंथ का कहना है की रामायण में वर्णित लंका वास्तव में श्री लंका ही है जहाँ उसानगोडा गुरुलोपोथा तोतुपोलाकंदा तथा वरियापोला नामक चार हवाई अड्डे मिले है. हम यह नही कह रहे रावण सही था लेकिन रावण की एक नकारात्मक छवि को ही देखते आये है रावण की ये अच्छाइयां जानने के बाद रावण के लिए आपकी घृणा कुछ कम हो जाएंगी और इनके कर्मो को देखने के लिए दूसरा नजरिया भी मिलेगा ।

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