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The Face of India > Blog > Spiritual > Makar Sankranti 2023 : कैसे मनाएँ इस बार की मकर संक्रांति
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Makar Sankranti 2023 : कैसे मनाएँ इस बार की मकर संक्रांति

TFOI Web Team
Last updated: 2023/01/05 at 8:08 PM
TFOI Web Team 1 month ago
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23 Min Read
Makar Sankranti 2023
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Makar Sankranti 2023- हिंदू धर्म  हर साल बहुत से  त्यौहार मनाये जाते है. इन सभी त्योहारों के पीछे महज सिर्फ परंपरा या रूढि बातें नहीं होती है, बल्कि  एक त्यौहार के पीछे छुपी होती है कुछ मान्यताये,विज्ञान, कुदरत, स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ी तमाम बातें. हर साल 14 या 15 जनवरी को हिन्दूओं द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को ही लें, तो यह पौष मास में सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. वैसे तो संक्राति साल में 12 बार हर राशि में आती है, लेकिन मकर और कर्क राशि में इसके प्रवेश पर विशेष महत्व है. जिसके साथ बढती गति के चलते मकर में सूर्य के प्रवेश से दिन बड़ा तो रात छोटी हो जाती है. जबकि कर्क में सूर्य के प्रवेश से रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है.

Contents
मकर संक्रांति त्यौहार के अलग अलग नाम क्या हैं ?मकर संक्रांति क्यूँ मनाया जाता है? यह भी देखें – Dussehra 2022 – दशहरा हर साल क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं कुछ पौराणिक कथामकर संक्रांति का महत्वमकर संक्रांति किन देशों में मनाई जाती हैं?

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है |

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अलग अलग धर्मो की विभिन्नय मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति मनाने के कई कारण है. लेकिन मकर संक्रांति मुख्य रूप से सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में जाने के शुभ मौके मनाया जाता हैं.

भारतीय शास्त्रों में कहा गया हैं की जब सूर्य दक्षिणायन में रहता है तब देवताओं की रात्रि होती है अर्थात यह समय नकारात्मकता का प्रतीक होता है और वहीं दूसरी तरफ जब सूर्य उत्तरायण में रहता है तो यह देवताओं का दिन होता है और यह समय को बहुत ही शुभ माना जाता हैं.

Makar Sankranti 2023

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दरअसल भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और मकर संक्रांति से पहले सूर्य भारत के हिसाब से दक्षिण गोलार्ध में रहता है और मकर सक्रांति के समय पर वह उत्तरी गोलार्ध में आना शुरू कर देता हैं. जिसका मतलब होता है की भारतीय सभ्यता के अनुसार इस दिन से उत्तरायण का समय शुरू हो जाता है.

यह भी माना जाता हैं की मकर संक्रांति के दिन से सर्दी समाप्त होना शुरू हो जाती हैं और दिन बड़े व रातें छोटी होना शुरू हो जाती हैं. यूँ कहे तो गर्मी की शुरुवात होने लगती है.

मकर संक्रांति क्या है – What is Makar Sankranti 

मकर संक्रांति एक ऐसा हिन्दू त्यौहार है जो की पूरी तरह से सूर्य देव को समर्पित है. भारत में शुरुआत से ही प्रकृति को देवों का स्थान दिया गया है और मकर संक्रांति का त्यौहार भी सूर्य देव को समर्पित माना जाता हैं. यह त्यौहार अलग अलग राज्यो में अलग अलग तरीके से मनाया जाता हैं.

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कही पर घर के पुराने सामानों को बेचकर उनकी जगह नए सामान खरीदे जाते हैं तो कही पर बच्चे अपने माता पिता से इस दिन Pocket Money (हाथ खर्च) प्राप्त करते हैं. लेकिन है जगह इस त्यौहार के दिन खुशनुमा माहौल रहता हैं. यहाँ से आप धनतेरस क्यों मनाया जाता है पढ़ सकते है।

मकर संक्रांति त्यौहार के अलग अलग नाम क्या हैं ?

मकर संक्रांति एक शुद्ध हिंदी नाम हैं इसलिए हो सकता हैं की कुछ लोगो के लिए नया हो. गुजरात में मकर संक्रांति को लोग उत्तरायण के नाम से जानते हैं तो राजस्थान, बिहार और झारखंड में इसे सकरात कहा जाता हैं. लेकिन एक बात सब जगह समान हैं और वह हैं गुड़ और टिल के बने लड्डू. मकर संक्रांति को अलग अलग प्रदेशो में अलग अलग तरीके से मनाया जाता हैं लेकिन बात पतंगों उड़ाने की हो तो सभी प्रदेश इसमें आगे हैं.

मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य देव की पूजा करते हैं. कुछ लोग अपने घरों में हो तुलसी के पौधे के माध्यम से सूर्यदेव की पूजा करते हैं तो कुछ तालाब, झील व नदियों को पूजा के लिए शुभ मानते हैं. मकर संक्रांति के दिन घरों में रंग बिरंगा डेकोरेशन किया जाता हैं.

Makar Sankranti 2023- मकर संक्रांति और कुम्भ मेला का क्या सम्बन्ध है?

मकर संक्रांति के समय में हर 12 साल में एक बार महान कुम्भ का मेला आयोजित होता है जिसमे 5 से 10 करोड़ लोग शामिल होते हैं. सभी लोग प्रयाग में गंगा और यमुना नदी के संगम पर सूर्य देव की पूजा करते हैं.

यह परम्परा आदि शंकराचार्य ने स्थापित की थी. 10 करोड़ तक लोगो के शामिल होने के कारण यह महाकुंभ का मेला पूरी दुनिया का सबसे बड़ा फेस्टिवल इवेंट भी माना जाता हैं. इस कार्यक्रम में हिमालय पर घोर तपस्या करने वाले साधुओं से लेकर हजारो विदेशी यात्री तक शामिल होते हैं.

Makar Sankranti 2023

मकर संक्रांति क्यूँ मनाया जाता है?

सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार, शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे.पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था।

ये तो हम सभी जानते ही हैं की भारत एक धर्म प्रधान देश हैं. भारतीय कैलेण्डर त्यौहारों की लिस्ट से भरा हुआ होता हैं क्योंकि भारत में कई त्यौहार हर्ष उल्लाश से मनाए जाते हैं. उन्ही प्रसिद्ध भारतीय त्यौहारों में से एक ‘मकर संक्रांति‘ भी हैं. हम सभी लोग मकर संक्रांति को बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं की ‘मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती हैं’? अगर नहीं, तो आज के इस पोस्ट में हम आपको मकर संक्रांति को मनाने का कारण विस्तृत रूप से बताएंगे.

भारत में अलग अलग धर्मों के साथ उनकी विभिन्न मान्यताएं भी मौजूद है. लेकिन सभी धर्मों के लोग सभी त्यौहारो को मिल-जुलकर और बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते हैं. यही तो हमारे देश की खूबसूरती हैं, जो की हमें औरों से अलग करता है. कहा भी गया हैं की ‘अनेकता में एकता, भारत की विशेषता‘.

जहाँ एक तरफ मकर संक्रांति के दिन छोटे गाँवो में बच्चे सड़को पर इधर से उधर अपनी पतंग को पकड़ने के लिए दौड़ते हैं तो वही शहरों में आसमान पतंगों की भीड़ से रंग बिरंगा दिखाई देता हैं. मकर संक्रांति की सबसे अधिक मान्यता गुजरात में हैं लेकिन लगभग सभी प्रदेशो में इस त्यौहार को हर्ष के साथ मनाया जाता हैं. तो फिर चलिए इस पावन पर्व मकर संक्रांति क्यों मनाते है के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करते हैं.

यह भी देखें – Dussehra 2022 – दशहरा हर साल क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं कुछ पौराणिक कथा

मकर संक्रांति का महत्व

शायद आपने गौर न किया हो लेकिन अधिकतर त्यौहारों में हम कुछ ऐसे काम करते हैं जैसे कि पर्यावरण को काफी हानि होती है लेकिन मकर संक्रांति की गिनती उन त्योहारों में होती है जिससे की पर्यावरण को काफी कम हानि पहुँचती हैं. वहीँ वैज्ञानिक दृष्टि से मकर सक्रांति (Makar Sankranti in Hindi) अपना एक अलग ही महत्व रखती है.

मकर सक्रांति के दिन से सर्दियां खत्म होना शुरु कर देती है और भारतीय नदियों में से वाष्पन क्रिया शुरू हो जाती है क्योंकि मकर संक्रांति से सूर्य भारत की तरफ बढ़ना शुरू करता है. वैज्ञानिकों के अनुसार नदियों से निकलने वाली वाष्प कई रोगों को दूर करती है अतः मकर सक्रांति के दिन नदियों में नहाना भारतीय सभ्यता के अनुसार शुभ और वैज्ञानिको के अनुसार शरीर के लिए लाभकारी माना जाता हैं.

वहीँ खान पान की बात करें तब मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल की मिठाईया खाई जाती हैं जो की वैज्ञानिक दृष्टि से शरीर के लिए बहुत लाभकारी होती हैं.

शास्त्रों के अनुसार सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में जाना शुभ होता है और वही विज्ञान के अनुसार यह मानव शरीर के लाभकारी होती हैं. क्योंकि उत्तरायण में अर्थात गर्मी के दिनों में कार्य करने की क्षमता में वृधि होती हैं.

मकर संक्रांति कब मनाई जाती हैं?

मकर संक्रांति के त्यौहार को प्रतिवर्ष जनवरी के महीने में मनाया जाता है. वैसे तो मुख्यतः मकर सक्रांति को 14 जनवरी को ही मनाया जाता हैं लेकिन कुछ बार में इसे 15 जनवरी और 13 जनवरी को भी मनाया गया हैं. साल 2022 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.

वही अगर भारतीय सभ्यता की बात की जाए तो जिस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ जाता हैं उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती हैं. कुछ राज्यो में इस त्यौहार को देवताओं के नींद से उठने के अवसर की खुशी मनाया जाता हैं.

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती हैं?

मकर संक्रांति की गिनती उन त्योहारों में की जाती है जिन्हें पूरे देश में एक साथ मनाया जाता हैं. लेकिन इस बात को मनाने का तरीके हर जगह एक जैसे नहीं हैं. मकर संक्रांति की विभिन्न स्थानों में विभिन्न मान्यताओं के साथ अलग अलग तरह से मनाया जाता हैं. चलिए अब जानते हैं की मकर संक्रांति को कहाँ पर कैसे मनाई जाती है .

पंजाब और हरयाणा में मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता हैं और इस दिन वहा पर तिल, चावल और गुड़ के साथ भुने मक्के की अग्नि में आहुति देने की प्रथा हैं.

वहीँ उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को दान के पर्व के रूप में मनाया जाता हैं और लोग इस दिन अधिक से अधिक दान देने की कोशिश करते हैं.

बंगाल की बात करें तब मकर संक्रांति के दिन तिल दान करने की प्रथा प्रचलित हैं. इसके अलावा बंगाल में इस दिन बड़े मेले का आयोजन भी होता हैं.

बिहार में इस त्यौहार को खिचड़ी का त्यौहार माना जाता हैं. बिहार में इस दिन खिचड़ी बनाने की और वस्त्र दान करने की प्रथा हैं.

राजस्थान में यह त्यौहार साँस और बहु के रिश्ते को मजबूत करने के लिए जाना जाता हैं. इस दिन बहुएं अपनी सास को वस्त्र और चूड़ियां भेंट करती हैं और उनसे आशीर्वाद लेती हैं.

तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता हैं और इसे चार दिन तक मनाया जाता हैं.

महाराष्ट्र में इस दिन हलवा मनाने और दान देने की प्रथा हैं. सबसे अधिक हर्षोल्लास से इसे गुजरात में मनाया जाता हैं. गुजरात में इस दिन आसमान पतंगों से भरा हुआ हैं. गुजरात में पतंग उड़ाने की प्रथा सबसे ज्यादा हैं. मकर संक्रांति के दिन गुजरात में विभिन्न तरह की छोटी-बड़ी पतंगे उड़ाई जाती हैं. गुजरात में इस दिन पतंग उड़ाने के अलावा दान देने और तिल की मिठाईया भी खाई जाती हैं.

मकर संक्रांति की कथा व कहानी (Makar Sankranti Story)

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते है. पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है. इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है, जो भीष्म पितामह के जीवन  से जुडी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई. शनि देव जयंती मंत्र व चालीसा यहाँ पढ़ें.

Makar Sankranti 2023 – मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi)

जो लोग इस विशेष दिन को मानते है, वे अपने घरों में मकर संक्रांति की पूजा करते है. इस दिन के लिए पूजा विधि को नीचे दर्शाया गया है-

सबसे पहले पूजा शुरू करने से पहले पूण्य काल मुहूर्त और महा पुण्य काल मुहूर्त निकाल ले, और अपने पूजा करने के स्थान को साफ़ और शुद्ध कर ले. वैसे यह पूजा भगवान् सूर्य के लिए की जाती है इसलिए यह पूजा उन्हें समर्पित करते है.

इसके बाद एक थाली में 4 काली और 4 सफेद तीली के लड्डू रखे जाते हैं. साथ ही कुछ पैसे भी थाली में रखते हैं.

इसके बाद थाली में अगली सामग्री चावल का आटा और हल्दी का मिश्रण, सुपारी, पान के पत्ते, शुद्ध जाल, फूल और अगरबत्ती रखी जाती है.

इसके बाद भगवान के प्रसाद के लिए एक प्लेट में काली तीली और सफेद तीली के लड्डू, कुछ पैसे और मिठाई रख कर भगवान को चढाया जाता है.

यह प्रसाद भगवान् सूर्य को चढ़ाने के बाद उनकी आरती की जाती है.

पूजा के दौरान महिलाएं अपने सिर को ढक कर रखती हैं.

इसके बाद सूर्य मंत्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का कम से कम 21 या 108 बार उच्चारण किया जाता है.

कुछ भक्त इस दिन पूजा के दौरान 12 मुखी रुद्राक्ष भी पहनते हैं, या पहनना शुरू करते है. इस दिन रूबी जेमस्टोन भी फना जाता है.

मकर संक्रांति 2023 के दिन शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2023 Date and timing)

मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 15 जनवरी को मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.

पुण्य काल के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है, जोकि कुल 3 घंटे और 02 मिनिट है.

इसके अलावा महा पूण्य काल के शुभ मुहूर्त दोपहर 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है जोकि कुल 1 घंटे 45 मिनिट के लिए है.

मकर संक्रांति पूजा से होने वाले लाभ (Makar Sankranti Puja Benefits)

इससे चेतना और ब्रह्मांडीय बुद्धि कई स्तरों तक बढ़ जाती है, इसलिए यह पूजा करते हुए आप उच्च चेतना के लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

Makar Sankranti 2023

अध्यात्मिक भावना शरीर को बढ़ाती है और उसे शुद्ध करती है.

इस अवधि के दौरान किये गए कामों में सफल परिणाम प्राप्त होते है.

समाज में धर्म और आध्यात्मिकता को फ़ैलाने का यह धार्मिक समय होता है.

मकर संक्रांति किन देशों में मनाई जाती हैं?

भारत वर्ष में मकर संक्रांति हर प्रान्त में बहुत हर्षौल्लास से मनाया जाता है. लेकिन इसे सभी अलग अलग जगह पर अलग नाम और परंपरा से मनाया जाता है.

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में इसे खिचड़ी का पर्व कहते है. इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इस अवसर में प्रयाग यानि इलाहाबाद में एक बड़ा एक महीने का माघ मेला शुरू होता है. त्रिवेणी के अलावा, उत्तर प्रदेश के हरिद्वार और गढ़ मुक्तेश्वर और बिहार में पटना जैसे कई जगहों पर भी धार्मिक स्नान हैं.

पश्चिम बंगाल : बंगाल में हर साल एक बहुट बड़े मेले का आयोजन गंगा सागर में किया जाता है. जहाँ माना जाता है कि राजा भागीरथ के साठ हजार पूर्वजों की रख को त्याग दिया गया था और गंगा नदी में नीचे के क्षेत्र डुबकी लगाई गई थी. इस मेले में देश भर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री भाग लेते हैं.

तमिलनाडु : तमिलनाडु में इसे पोंगल त्यौहार के नाम से मनाते है, जोकि किसानों के फसल काटने वाले दिन की शुरुआत के लिए मनाया जाता है.

आंध्रप्रदेश : कर्नाटक और आंधप्रदेश में मकर संक्रमामा नाम से मानते है. जिसे यहाँ 3 दिन का त्यौहार पोंगल के रूप में मनाते हैं. यह आंध्रप्रदेश के लोगों के लिए बहुत बड़ा इवेंट होता है. तेलुगू इसे ‘पेंडा पाँदुगा’ कहते है जिसका अर्थ होता है, बड़ा उत्सव.

गुजरात : उत्तरायण नाम से इसे गुजरात और राजस्थान में मनाया जाता है. इस दिन गुजरात में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता रखी जाती है, जिसमे वहां के सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है. गुजरात में यह एक बहुत बड़ा त्यौहार है. इस दौरान वहां पर 2 दिन का राष्ट्रीय अवकाश भी होता है.

बुंदेलखंड : बुंदेलखंड में विशेष कर मध्यप्रदेश में मकर संक्रांति के त्यौहार को सकरात नाम से जाना जाता है. यह त्यौहार मध्यप्रदेश के साथ ही बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और सिक्किम में भी मिठाइयों के साथ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

महाराष्ट्र : संक्रांति के दिनों में महाराष्ट्र में टिल और गुड़ से बने व्यंजन का आदान प्रदान किया जाता है, लोग तिल के लड्डू देते हुए एक – दूसरे से “टिल-गुल घ्या, गोड गोड बोला” बोलते है. यह महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए विशेष दिन होता है. जब विवाहित महिलाएं “हल्दी कुमकुम” नाम से मेहमानों को आमंत्रित करती है और उन्हें भेंट में कुछ बर्तन देती हैं.

केरल : केरल में इस दिन लोग बड़े त्यौहार के रूप में 40 दिनों का अनुष्ठान करते है, जोकि सबरीमाला में समाप्त होता है.

उड़ीसा : हमारे देश में कई आदिवासी संक्रांति के दिन अपने नए साल की शुरुआत करते हैं. सभी एक साथ नृत्य और भोजन करते है. उड़ीसा के भूया आदिवासियों में उनके माघ यात्रा शामिल है, जिसमे घरों में बनी वस्तुओं को बिक्री के लिए रखा जाता है.

हरियाणा : मगही नाम से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह मनाया जाता है.

पंजाब : पंजाब में लोहड़ी नाम से इसे मनाया जाता है, जो सभी पंजाबी के लिए बहुत महत्व रखता है, इस दिन से सभी किसान अपनी फसल काटना शुरू करते है और उसकी पूजा करते है.

असम : माघ बिहू असम के गाँव में मनाया जाता है.

कश्मीर : कश्मीर में शिशुर सेंक्रांत नाम से जानते है.

विदेशों में मकर संक्रांति के त्यौहार के नाम (Makar Sankranti Festival in Abroad)

भारत के अलावा मकर संक्रांति दुसरे देशों में भी प्रचलित है लेकिन वहां इसे किसी और नाम से जानते है.

नेपाल में इसे माघे संक्रांति कहते है. नेपाल के ही कुछ हिस्सों में इसे मगही नाम से भी जाना जाता है.

थाईलैंड में इसे सोंग्क्रण नाम से मनाते है.

म्यांमार में थिन्ज्ञान नाम से जानते है.

कंबोडिया में मोहा संग्क्रण नाम से मनाते है.

श्री लंका में उलावर थिरुनाल नाम से जानते है.

लाओस में पी मा लाओ नाम से जानते हैं.

भले विश्व में मकर संक्रांति अलग अलग नाम से मनाते है लेकिन इसके पीछे छुपी भावना सबकी एक है वो है शांति और अमन की. सभी इसे अंधेरे से रोशनी के पर्व के रूप में मनाते है.

मकर संक्रांति के दिन किन चीज़ों का सेवन किया जाता है ?

मकर संक्रांति के दिन पूरे देश में तिल और गुड़ से बनी हुई मिठाईया खायी जाती हैं, चाहे वह तिल के लड्डू या या तिल के साथ मिलाकर बनी हुई दाल, चावल और घी की खिचड़ी.

मकर संक्रांति के दिन दान करना क्यूँ शुभ माना जाता है ?

इस त्यौहार के बारे में यह भी कहा जाता हैं की इस दिन दान करने से 100 गुना ज्यादा प्राप्त होता है. इस कारण लोग इन दिन गरीबो और जरूरतमन्दों को उपयोगी सामग्री और पैसों का दान करते हैं.

मकर संक्रांति में किनकी पूजा की जाती है ?

मकर संक्रांति में सूर्य देव की पूजा की जाती है.

 

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