आध्यात्मिक

Shani Pradosh Vrat Katha 2023 | शनि प्रदोष जुलाई 2023

Shani Pradosh Vrat Katha 2023

पंडित आशीष कुमार तिवारी

जुलाई मास का प्रथम प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत है, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जुलाई 2023 दिन शनिवार को है और इस दिन भोलेनाथ की आराधना करने के लिए प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि शनिवार को होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी तिथि के स्वामी श्रीहरि हैं ऐवम त्रयोदशी तिथि के स्वामी महादेव हैं।अलग-अलग वार पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है।जिस दिन प्रदोष होता है उसी दिन के आधार पर प्रदोष का नाम होता है।प्रत्येक मास में जिस तरह दो एकदशी होती है उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं। त्रयोदशी को प्रदोष कहते हैं।
प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है।

प्रदोष व्रत के दिन महादेव ऐवम माता पार्वती की पूजा की जाती है प्रदोष व्रत के दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रदोष के समय महादेव प्रसन्नचित अवस्था में होते हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष व्रत महादेव ऐवम माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। प्रदोष के दिन सूर्योदय ऐवम सूर्यास्त के समय सफेद वस्त्र धारण करके महादेव ऐवम माता पार्वती की पूजा करनी चाहिये।ऐवम ॐ नमः शिवाय का जाप अवस्य करना चाहिये
प्रदोष व्रत की संक्षेप में यह कथा है कि चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था जिस कारण चंद्रदेव को मृत्युतुल्य कष्टों प्राप्त हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन वापस जीवन प्रदान किया था इसी कारण इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।

शनि प्रदोष का महत्त्व
शनि प्रदोष के दिन पूजा-पाठ करने से और व्रत का पालन करने से साधक के सभी पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही कई प्रकार के ग्रह दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इस दिन विधिवत भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करने से धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने के शनि दोष भी दूर होते हैं। पुराणों के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है।शनि प्रदोष के दिन शनिदेव के प्रसन्नता के लिये पीपल में जल देना चाहिए दीपक जलाना चाहिये ऐवम शनि चालीसा का पाठ करना शुभ रहता है।

शनि प्रदोष पूजन शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 30 जून की रात 01 बजकर 18 मिनट से हो रहा है। ऐवम त्रयोदशी तिथि का समापन 1जुलाई की रात 11 बजकर 07 मिनट पर होगा।
प्रदोष पूजन का शुभ मुहूर्त 1 जुलाई की शाम 07 बजकर 23 मिनट से 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

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