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स्वामी विवेकानन्द सनातन संस्कृति के अग्रदूत थे – त्रिपाठी

बांसी। स्वामी विवेकानंद सनातन संस्कृति के अग्रदूत थे ।गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रति अगाध निष्ठा की पराकाष्ठा नरेंद्र दत्त को विवेकानंद के रूप में प्रख्यात कराया।  समूचे विश्व को भाई और बहन के रूप में समझकर भातृत्वऔर मातृत्व शक्ति का विकास और विस्तार स्वामी विवेकानंद का लक्ष्य और  सपना था ।हम सभी को स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए। उक्त विचार प्रो के पी त्रिपाठी ने व्यक्त किया वह शुक्रवार को जिला एकीकरण समिति सिद्धार्थनगर द्वारा  श्री रामविलास इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी एंड मेडिकल साइंसेज सोनखर में स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय के प्रधानाचार्या  डा  इंद्रजीत  ने कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं, तभी उनके जन्म को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है । हम सभी युवाओं को स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हो  पर चलने का संकल्प  लेना चाहिए । स्वामी विवेकानंद के विश्व बंधुत्व का संदेश आज के समाज में प्रासंगिक है। कार्यक्रम को   जूही शुक्ला, जयशंकर प्रसाद प्रभारी अध्यक्ष स्थाई लोक अदालत, गंगा प्रसाद व बलवंत क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी, शिक्षक रविंद्र कुमार सेठिया आदि ने  संबोधित किया ।कार्यक्रम का संचालन व अतिथियों का स्वागत सिद्धार्थ शंकर पांडे ने किया। उक्त अवसर पर रेनू, प्रतिभा, सुप्रिया ,श्रेया, पूजा चौधरी ,अंजली, वैष्णवी, प्रियंका समेत तमाम नर्सिंग प्रशिक्षु उपस्थित रहे।

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Brijesh Kumar