उत्तर प्रदेश

माता-पिता के संस्कार व सत्संग बच्चों को धुंधकारी बनने से रोक सकता है: आचार्य शैलेंद्र शास्त्री

मईल /देवरिया । देवरहा बाबा के तपोभूमि (देवारण्य) के पावन धरा पर माँ सरयू के तट पर स्थित ब्रह्मलीन योगीराज देवराहा बाबा काष्ठ आश्रम के समीप नरियांव ग्राम में चल रहे सप्तदिवसीय भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के प्रथम दिवस पर देवरिया से पधारे कथा वक्ता शैलेन्द्र शास्त्री जी महाराज ने धुन्धकारी के मोक्ष की कथा का सुंदर वर्णन सभी भक्तों को सुनाया। कथा की शुरुआत करते हुए महाराज जी ने कहा कि माता -पिता को बच्चों के उत्तम चरित्र- निर्माण का ध्यान देना चाहिए। सात दिन लगातार जो भागवत कथा का भक्ति भाव से अनुश्रवण करता है ,उसके जीवन में अवश्य बदलाव आता है। शैलेन्द्र शास्त्री जी ने आगे कहा कि मानव को सबसे अनासंग भाव से आसक्त मुक्त होना चाहिए। संसारियों के साथ रहो, परन्तु साधु के सत्संग में रहो। जबकि इस कलियुग में लोग माता-पिता का ध्यान ना देकर, ससुरालियों का विशेष ध्यान रख रहे हैं। आगे महाराज जी ने बताया कि शुकदेवजी महाराज राजा परीक्षित से कहते हैं कि राजन जो इस कथा को भक्ति भाव से सुनता है, उसे भगवान के रसमय स्वरुप का दर्शन होता है। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता है। कथा के अंत में महाराज जी ने कहा कि ये अमृतमय कथा के श्रवण मात्र से ही धुन्धकारी जैसा दुष्ट प्रेत भगवत धाम को प्राप्ति कर गया तो यदि हम सभी लोग अपने शुद्ध अन्त:कर्ण से इस कथा का रसानुभूति करेंगे तो हमें भी भगवत प्राप्ति अवश्य ही होगी। इस अवसर पर मुख्य यजमान सुधारा देवी एवं सीता कांत तिवारी, भोला तिवारी शेष नारायण, रविशंकर तिवारी, आनंद, विनोद मिश्र, नरियांव,मईल, देवसिया,गोंडवलीं , आदि गावों के सैकड़ों भक्त उपस्थित रहें।

Pradeep Kumar Maurya