बदलते मौसम : मार्च का महीना अपने साथ कई बदलाव ले कर आता है। एक तरफ जहां होली का पर्व सर्दियों की उदासीनता दूर करता है, वहीं दूसरी तरफ ऋतु परिवर्तन का हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। मौसम में परिवर्तन के कारण अनेक बिमारियां भी हो सकतीं हैं। मार्च का महीना शीत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु के आगमन के रुप में देखा जाता है। इस समय दिन में गर्मी और रात में हल्की ठंड का अनुभव होता है। साथ ही साथ हवा बहुत ही शुष्क और तीव्र होती है। इन बदलावों के कारण मार्च के समय अपने स्वास्थ्य और खान-पान का ध्यान रखना अति आवश्यक हो जाता है।
इस बदलते मौसम में सर्दी-ज़ुकाम, बुखार (सीज़नल फ्लू, वायरल इन्फेक्शंस), पेट संबंधी परेशानियां आदि के होने का ख़तरा रहता है। साथ ही मौसम में रुखापन होने की वजह से त्वचा से जुड़ी तकलीफ़ें होने का भी डर रहता है। तो आइए अब जानते हैं कि मौसम में परिवर्तन हमारे स्वास्थ्य को किस प्रकार से प्रभावित करता है।
बदलते मौसम का स्वास्थ्य पर प्रभाव-
बदलते मौसम के साथ वायरल इन्फेक्शंस, मौसमी फ्लू होने का ख़तरा बढ़ जाता है। अचानक तापमान में बदलाव और गर्मी के बढ़ने के कारण बिमारी फैलाने वाले सूक्ष्म जीवों को अनूकूल वातावरण मिल जाता है जिससे सर्दी-ज़ुकाम, खांसी, बुखार, बदन-दर्द जैसी तकलीफ़ें लोगों को परेशान करने लगती हैं।
इस मौसम में हवा बहुत शुष्क होती है, जिसकी वजह से त्वचा में रुखापन बढ़ जाता है और शरीर में खुजली और त्वचा फटने जैसी तकलीफ़ें भी हो जाती हैं।
इस समय वातावरण में कई तरह के अलर्जन मौजूद होते हैं, जो कि विभिन्न प्रकार की एलर्जी का कारण हो सकते हैं।
थायरॉयड के मरीजों में इस हॉरमोन के सीज़नल वैरियेशन यानि कि मौसमी उतार-चढ़ाव के कारण भी दिक्कतें हो सकती हैं।
आर्थराइटिस और दूसरे “ऑटो इम्यून” बिमारियों का “फ्लेयर-अप” भी मौसम में परिवर्तन के साथ देखा जाता है। ये बदलाव शरीर में एक तरीके का तनाव उत्पन्न करते हैं, जो कि हमारे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को प्रभावित करता है, जिस कारण ऑटो इम्यून बिमारियों की तकलीफ़ और बढ़ जाती है।
हमारा शरीर मौसम के परिवर्तन के हिसाब से ढलने की कोशिश करता है, जिसके लिए अतिरिक्त उर्जा की आवश्यकता होती है। और यदि हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमि होगी, तो इस मौसमी बदलाव के समय हम अत्यधिक थकान महसूस कर सकते हैं।
बदलते मौसम के साथ हमें आगे बढ़ने के लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है। तो किस प्रकार से हम इस परिवर्तन का सामना कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य का भली प्रकार ध्यान रख सकते हैं, आइए जानते हैं…
इन प्रभावों से बचने के उपाय-
पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन हमें हर मौसम में सुरक्षित रखता है। ऐसे ऋतु में अतिरिक्त उर्जा की आवश्यकता की भरपाई भी स्वस्थ और संतुलित आहार के द्वारा ही हो सकता है।
मौसमी फल एवं सब्जियां और अन्य विशिष्ट खान-पान की वस्तुएं, किसी विशेष ऋतु में पाये जाते हैं, जो कि उस ऋतु के अनुकूल ही शरीर पर प्रभाव डालते हैं और साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन का इस्तेमाल हमारे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करता है और हमें मौसम परिवर्तन के प्रभावों से भी बचाता है।
हमारे शरीर को सिर्फ गर्मियों में ही नहीं, बल्कि हर मौसम में उचित हाइड्रेशन (शरीर में जल की उचित मात्रा) की आवश्यकता होती है। जिससे कि शरीर से सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते रहें और सभी अंग भली प्रकार से काम करते रहें। सही हाइड्रेशन त्वचा सम्बंधित परेशानियां भी दूर करता है।
अपने क्षमता के अनुसार नियमित व्यायाम करना बहुत ही ज़रूरी होता है। नियमित और उचित व्यायाम हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। इस से हमारी हड्डियां और मांसपेशियां मज़बूत होती हैं, शरीर को लचीला बनाती हैं और साथ ही हमारी उदासीनता भी दूर करती हैं। “फ़ील गुड” हॉरमोन के स्राव के कारण बदलते मौसम के अवसाद के साथ जूझना भी आसान हो जाता है।
अच्छी नींद पूरी मात्रा में लेना अतिआवश्यक होता है। जब हम सो रहे होते हैं, उस समय हमारे शरीर में “हीलिंग” प्रक्रिया चलती है, जो कि अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। अच्छी नींद हमारे मस्तिष्क और बाकी शरीर को आराम पहुंचाती है, जिससे अगले दिन हम प्रभावी ढंग से अपने दिनचर्या को कर पाते हैं। हमारे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को भी हर स्थिति के लिए तैयार करने में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
6.तनाव से दूरी बनाना
किसी भी प्रकार का तनाव हमारे शरीर के “फ़ीज़ियोलॉजिकल साइकल” को बाधित कर देता है, जो कि हमारे शरीर पर खराब प्रभाव डालता है। तनाव से दूरी हमारे शरीर और मस्तिष्क को हर मौसम में स्वस्थ रखता है।
जैसा कि मैंने बताया था कि, इस मौसम में बहुत रुखापन होता है, इसलिए हमें हमारी त्वचा की नमी को बनाए रखना बहुत ज़रुरी होता है। इस के लिए हमें “नॉन स्टिकी मॉस्चराइज़र” का इस्तेमाल करना चाहिए।
यदि हम अपने खान-पान का ध्यान रखते हैं, स्वस्थ दिनचर्या का पालन करते हैं, तो मार्च के महीने का बदलाव हो या अन्य ऋतु परिवर्तन हो, अथवा कोई भी प्रतिकूल परिस्थिति हों, हमारा शरीर सब का सामना करने के लिए तैयार रहता है।