Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी का महत्त्व, शुभ मुहूर्त ऐवम पूजन विधि
Ganesh Chaturthi 2023 | पंडित आशीष कुमार तिवारी
Ganesh Chaturthi 2023 गणेश चतुर्थी का महत्त्व
हमारे हिंदू धर्म शास्त्र में गणेश देव को प्रथम पूज्य माना गया है।और चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी को माना गया है।
हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। भाद्रपस मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाते हैं। सभी देवों में प्रथम आराध्य देव श्रीगणेश की पूजा करने और उन्हें प्रसन्न करने का त्योहार इस साल यह त्योहार 19 सितम्बर 2023 दिन मंगलवार को है एवम इसका समापन 28 सितम्बर 2023 दिन गुरुवार यानी अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की विदाई होगी।
भाद्रपस मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का विशेष महत्त्व है। इस दिन लोग गणेश देव की पार्थिव मूर्ती की पूजा स्थापना करते हैं।
भगवान गणेश की पूजा स्थापना करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
महाराष्ट्र समेत पूरे देश में गणपति त्योहार की धूम है।इस दौरान भक्तों के सामने बड़ा सवाल यह होता है कि वे किस तरह से पूजा करें ,ताकि उनको पूजा पूरा लाभ मिल सके।
श्री पार्थिव गणपति पूजन का प्रारंभ बाल गंगाधर तिलक ने हिन्दू समाज को जोड़ने के उद्देश्य से किया था। आज यह त्योहार पूरे देश में लोकप्रिय है।
Ganesh Chaturthi 2023: श्रीगणेश पूजन की सबसे आसान विधि –
श्रीगणेश जी की पूजा लोगों के लिए काफी कल्याणकारी और महत्वपूर्ण है। हर कार्य की सफलता के लिए चाहे वह किसी भी कामनापूर्ति जैसे स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण के लिए है गणपति जी की पूजा को कभी लाभकारी माना जाता है. कभी किसी व्यक्ति को किसी अनिष्ट की आशंका हो या उसे कई प्रकार के शारीरिक,मानसिक या आर्थिक कष्ट उठाने पड़ रहे हो तो उसे श्रद्धा एवं विश्वासपूर्वक किसी योग्य व विद्वान ब्राह्मण के सहयोग से श्रीगणपति जी की आराधना व पूजन करना चाहिए.
यह प्रति वर्ष भाद्रपद मास को शुक्ल पक्ष के रूप में मनाया जाता है. चतुर्थी तिथि को श्री गणपति भगवान की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है. जो सभी बाधाओं का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं. इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।गणेश जी की सुंदर मूर्ती घर या व्यापार में लाये ऐवम गणेश जी की सूड़ बायी तरफ मुड़ी होनी चाहिये।
गणेश चतुर्थी 2023 पूजन शुभ मुहूर्त ।
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी और 19 सितंबर को रात 8:43 बजे समाप्त होगी।
Ganesh Chaturthi 2023: गणेश पूजन शुभ मुहूर्त
सुबह 06:18 से 07:48 तक।
इसके बाद सुबह 09:19 AM 10:50 तक।
अभिजीत मुहूर्त 11:30 से 12:30 तक।
आप लोग अपनी सुविधानुसार चतुर्थी तिथि यानी 8:43 रात्रि तक कभी भी कर सकते हैं।
श्री गणपति जी की आसान पूजन विधि —-
पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन में बैठकर अपने ऊपर गंगाजल एवं गुलाब जल छिड़क लें और पूरे घर में भी छिड़क दें।
सभी पूजन सामग्री को जमा कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर पूजा प्रारम्भ करें ।
क्या ना चढ़ाएं-
भगवान श्री गणपति जी को तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें, शुद्ध स्थान से चुनी हुई दुर्वा को धोकर ही चढ़ाना श्रेष्ठ होता है.
श्री गणपति जी को मोदक एवं लड्डू अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी अवश्य चढ़ाना चाहिए ऐवम गणेश जी के प्रसाद में तुलसी कभी ना डाले ,गणेश जी के प्रसाद में साफ स्वच्छ दूर्वा डालें..
श्रीगणेश जी का विशेष मंत्र –
ॐ गं गणपतये नम: का 108 बार जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
क्या करने से बचें-
शास्त्रों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए और व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध एवं कटु वचन बोलने से बचें।काले कपड़े पहन कर पूजा कदापि न करें।यह हानिप्रद सिद्ध हो सकता है ऐवम हमेशा लाल कपड़े पहन कर हीं पूजा करें और श्रीगणेश जी का ध्यान करते हुए शुद्ध व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए।
शास्त्रानुसार श्रीगणेश की पार्थिव प्रतिमा बनाकर उसे प्राणप्रतिष्ठित कर पूजन-अर्चना के बाद विसर्जन कर देने का प्रमाण मिलता है।
किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है, किन्तु गणेश ,लक्ष्मी ,कुबेर एवं रिद्धि -सिद्धि व शुभ- लाभ का विसर्जन नहीं किया जाता है. इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करें, किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में गणेश परिवार एवं श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए निमंत्रित करें। पूजा के उपरांत सभी देवी-देवताओं का स्मरण करें एवं अपराध क्षमा प्रार्थना करें। सभी अतिथि व भक्तों का मनपूर्वक एवं श्रद्धा से स्वागत करें।कार्य को सुचारू रूप से निर्विघ्नपूर्वक संपन्न करने हेतु सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की वंदना व अर्चना का विधान है। इसीलिए वैदिक धर्म में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा से ही किसी कार्य की शुरुआत होती है।